4 अगस्त, 2003 को संसद में दिया गया भाषण
‘सदन में लालू प्रसाद: प्रतिनिधि भाषण’ नामक पुस्तक का अंश
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उपसभापति महोदया, मैं उन दिनों बिहार का मुख्यमंत्री था, जब राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक हुई थी। उस समय बड़ी गंभीर स्थिति थी। राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक 2 नवंबर, 1991 को एनेक्सी बिल्डिंग, नई दिल्ली में हुई थी। मैं साक्षी हूं, गवाह हूं कि माननीय आडवाणी जी और कल्याण सिंह ने काफी जद्दोजहद के बाद, काफी बहस के बाद यह विश्वास दिलाया था कि हम मस्जिद को गिराने नहीं देंगे। हम लोग बचाएंगे, सिर्फ पूजा-पाठ करेंगे। ऐसा उन्होंने उस समय की सरकार को विश्वास दिलाया था, मैं गवाह हूं। लेकिन इसके ठीक उलटा काम हुआ। आज भी वह घटना अगर ये लोग आज या कल एक दिन भी कंटीन्यू करते हैं तो देश टूट की कगार पर खड़ा हो जाएगा।
सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्रा को देखा जाए, अखबारों को देखा जाए, रिपोर्ट को देखा जाए, जैन टीवी को देखा जाए, आजकल जैन टीवी के लोगों के साथ पता नहीं रिश्ते अच्छे हो गए हैं या खट्टा रिश्ता है। ये सारे लोग इसे कवर कर रहे थे। पटना तक गए। पटना में हमने ईश्वर की सलाह से, खुदा की सलाह से, राम जी के रथ और आडवाणी जी को कैद किया था। इनकी यात्रा रास्ते में खरमंडल हो गई। एक-एक यात्रा को देखें तो सभी जगह इन लोगों ने कसम खाई है कि ‘हम राम की कसम खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे, जहां बाबरी मस्जिद का ढांचा है।’ यह क्या बताता है? एक जिम्मेदार पोलिटिकल पार्टी और नेता, जो आज देश के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर हैं, वे प्रधानमंत्री के कंट्रोल से बाहर हैं। प्रधानमंत्री जी, हम लोग संवैधानिक बातें मानते हैं, लेकिन वे इनके बस में नहीं हैं। मैडम, चारों तरफ आरएसएस, संघ परिवार, बजरंग दल, लोटा बाबा, बाल्टीबाबा, सोटा बाबा, ये सारे एकत्रित हुए कि बाबरी मस्जिद को तोड़ना है। चूंकि इनको साइज बढ़ाना था, इनको पावर में आना था, इनको सरकार में आना था। महोदया, यह कोई एक दिन की घटना नहीं है। यात्रा के दौरान, जो शिव सेना के अध्यक्ष ठाकरे साहब हैं, उनसे आडवाणी जी की मुंबई में गुपचुप बैठक हुई थी। उनसे भी सलाह लेकर कि हर हालत में यहां से चुने-चुने लोगों को गैता के साथ, औजार के साथ, खंती के साथ सैनिकों को भेजिए और यहां से उस इलाके से ज्यादा से ज्यादा लोगों को भेजिये, क्योंकि मस्जिद को तोड़ना है और तोड़ने के बाद ही हिन्दू सेंटीमेंट उभरेगा और सरकार में लोग आयेंगे। वही बात हुई। उस समय प्रधानमंत्री श्री पीवी नरसिंह राव थे। उन्होंने कहा कि हमको धोखा हो गया। जो लोग बोले, जो लोग देश को विश्वास दिलाये, वे बराबर धोखा दिए। इतिहास में मैं जाना नहीं चाहता हूं। भाजपा का और संघ परिवार का इतिहास ही धोखा देने का रहा है।
महोदया, यह 57 टैप थे। अयोध्या और बाबरी मस्जिद के मामले में 57 टैप, जो चारों तरफ से थे, उनमें मात्र 6 टैप पेश किए गए। बाकी टैप आप कहां खा गए? कहां गायब कर दिया आपने इनको? हम यह जानना चाहते हैं, सदन जानना चाहता है कि किस तरह से आपने उनको गायब किया? माननीय प्रधानमंत्री जी, जब फॉडर स्कैम का सवाल आया था तो झूम झूम कर आप लोकसभा में बोलते थे कि बिहार में लोग पशु का चारा खा जाते हैं, लेकिन यह इस देश में क्या हुआ? आपने वादा किया था कि देश से भय, भूख और भ्रष्टाचार मिटायेंगे, लेकिन देश में लालू यादव ही नहीं बोलता, हमारे प्रतिपक्ष के लोगों का ही आरोप नहीं है। सीएजी की रिपोर्ट में है, सेनाएं, जो बहादुरी का काम सीमाओं पर करती है, उनके कॉफिन में घपले हुए, कफन में घपले हुए। कफन खा गए, महोदया। ऐसी सारी मान्यताओं को तोड़ डाला गया। आपने कहा था हमारी सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार की उंगली नहीं उठी। आपने कहा था, न? लेकिन, भ्रष्टाचार के, बेईमानी के सारे रिकॉर्ड तोड़कर नए रिकॉर्ड कायम हुए हैं आपकी सरकार में । महोदया, साथ ही साथ मैं यह भी कहना चाहता हूं कि 57 टैप, प्रधानमंत्री का भी बयान उस टैप में रिकार्डेड है। इन्होंने कहा था कि आडवाणी जी, आप अयोध्या संभालो, हम दिल्ली संभालेंगे। अयोध्या संभालें आडवाणी जी और आप संभालें दिल्ली। उस टेप में यह है। टेप की अगर आपकी इजाजत होगी तो में उसे रखूंगा। क्या हुआ ? महोदया, आज भी देश जल रहा है, जल ही नहीं रहा बल्कि यहां न मंदिर सुरक्षित है, न मस्जिद सुरक्षित है, न गिरिजाघर सरक्षित है, न गुरुद्वारा सुरक्षित है। आज देश की हालत बड़ी भयावह है। आतंकवाद अगर फला-फूला है तो इसकी जड़ में आप लोग हैं। आस्था की जगह को आप ध्वस्त करेंगे और गाली देंगे कि यह बाबर के खानदान से हैं, यह अमुक रिलीजन, अमुक व्यक्ति के खानदान से हैं, तो क्या इससे आप देश को बचाने की दिशा में कार्यवाही करेंगे? दिनाकं 11 जून, 2002 को लिब्राहन आयोग के सामने बयान देने के बाद आडवाणी जी ने कहा कि यह मामला कोर्ट से नहीं संभलेगा। कोर्ट से नहीं संभलेगा तो यह कहां से संभलेगा? गेंता से, कुदाली से, फावड़ा से या तोड़ने से संभलेगा। कोर्ट की दुहाई देने वाले यह लोग कोर्ट को नहीं मानते।
महोदया, मध्य प्रदेश में गुना में आरएसएस के चुने हुए लोगों की मीटिंग हुई थी कि हर हालत में हम ढांचे को गिराने के काम में….(व्यवधान)…महोदया, आईबी की रिपोर्ट है कि गुना में यह तय हुआ कि ढांचे को गिराना है, हर हालत में गिराना है। जिस दिन ये लोग बाबरी मस्जिद को गिराने के काम में जुटे थे, बीबीसी के लोग, सारे मीडिया के लोग, जो इसको कवर कर रहे थे, उनको पीटा गया, बुरी तरह से मारा गया, उनके कैमरे छीने गए और उन लोगों ने 40 मुकदमे अयोध्या में किये हैं। लालू यादव ने ये मुकदमे नहीं किये हैं, आरजेडी ने ये मुकदमे नहीं किये हैं। ये मुकदमे देश और परदेश के मीडिया के लोगों ने किए हैं। उस मामले को भी आपने दबाकर रखा है, यह भारी षड्यंत्र है।
जब षड्यंत्र का मामला आया, जब आपके केंद्रीय मंत्री, डिप्टी प्राइम मिनिस्टर पकड़ में आये, माननीय प्रधानमंत्री जी, आपसे गलती कैसे हो गई? आपने ऐसा क्यों बोल दिया? हम लोगों को अफसोस हुआ। हम लोगों को मालूम है कि आपके लोगों ने ज़लील किया। व्यक्तिगत रूप से आपका आदर करता हूं। पता नहीं, आप किस मायाजाल में, किस भ्रम में फंस गए। किस भवजाल में आप फंसे हुए हैं, आपको इतिहास कायम करना चाहिए। आदमी का पद पर आना-जाना तो लगा रहता है, लेकिन आपको इतिहास बनाना चाहिए था।
हमलोगों को मालूम है कि आपको आगे कर दिया गया। आगे किसको कर दिया जाता है? आपको आगे धकेलकर लोग वोट लेना चाहते हैं। आपको वोट मिलनेवाला नहीं है, पॉवर में आप नहीं आने वाले हैं। यही मौका है कि आपके जो डिप्टी प्राइम मिनिस्टर हैं, जो सीधे धारा 120 में बाबरी मस्जिद को गिराने के षड्यंत्र में इन्वॉल्व हैं, आप अपना दिल का कांटा निकाल दीजिए। आप निकाल दीजिए इसी समय और हाउस में स्वीकार कीजिए कि हमसे यह भूल हो गई थी। चाहे कोई भी आदमी हो, कानून की दृष्टि में सब बराबर हैं। चाहे हम हैं या कोई हो, सब बराबर हैं। इसलिए आपको एक निर्णय लेना चाहिए। महोदया, मैं आपकी बेचैनी को महसूस करता हूं, मैं आपकी परेशानी को भी समझता हूं।
महोदया, मैं बहुत गंभीरता से आपकी तकलीफ को समझता हूं। मैं अपनी बात खत्म कर देता हूं। अभी ज्यादा दिनों की बात नहीं है, परमहंस रामचंद्र दास जी स्वर्गीय हो गए। जो स्वर्गीय होता है, उसके विषय में हमारी वही ओपिनियन है। वे हमारे यहां के थे। हमने कहा था कि वे छपरा में हमारे क्षेत्र सोनपुर के बाबा थे। हम उनको श्रद्धांजलि भी देते हैं। वे परमहंस थे। अब वे नहीं हैं। बुरा हो या भला हो, जब आदमी स्वर्ग में चला जाता है, जन्नत में चला जाता है तो वह महान होता है। प्रधानमंत्री जी, आप उनकी अंत्येष्टि में गए और आप इतने डर गए कि आपने वहां बयान दे दिया कि मंदिर यहीं बनाएंगे। जब एनडीए के लोगों ने आपको पकड़ा तो आपने कहा कि नहीं, हमने ऐसा नहीं कहा था। एनडीटीवी के कवरेज को झूठा कह रहे हैं आप…(व्यवधान)…आप एनडीटीवी को बुलाइए। एनडीटीवी में विजुअल है। वह दूसरा प्रधानमंत्री कहां से आ गया? आपके चेहरे का दूसरा कोई आदमी आ गया क्या? कोई मोम के बनाये हुए व्यक्ति वहां नहीं आये, आपको वहां बोलते हुए दिखाया गया कि मंदिर यहीं बनाएंगे, हम फिर राम की कसम खाते हैं…(व्यवधान)… इस सरकार ने सीबीआई का दुरुपयोग किया है। सीबीआई में सब लोग बुरे नहीं हैं, सीबीआई में सभी पदाधिकारी बुरे नहीं हैं। हम भी सीबीआई को नजदीक से जानते हैं। इन्होंने सीबीआई को डी-ग्रेड किया है, इंसल्ट किया है और दबाया है उनको बचाने के लिए। इसलिए हम आपसे इस्तीफे की मांग करते हैं। हम इस्तीफे की मांग तब वापस ले लेंगे, जब आप सभी केंद्रीय मंत्रियों पर जो 120 का मुकदमा दर्ज है, वह ज्यों-का-त्यों रहे और न्यायपालिका फैसला दे, तभी हमको संतोष होगा। मैडम, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं और आपको घंटी बजाने का आगे मौका नहीं देना चाहता। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
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‘सदन में लालू प्रसाद: प्रतिनिधि भाषण’
इस पुस्तक का संपादन अरुण नारायण और प्रकाशन मार्जिनलाइल्ड प्रकाशन, नई दिल्ली ने किया है। दिल्ली में पुस्तक प्राप्त करने के लिए संजीव चंदन (8130284314) और पटना में वीरेंद्र यादव (9199910924) से संपर्क कर सकते हैं।