बिहार के मुख्य सचिव त्रिपुरारि शरण का कार्यकाल इसी महीने की 30 तारीख को समाप्त हो रहा है। वे उसी दिन सेवानिवृत्त हो जाएंगे। सत्ता के गलियारे में यह सवाल है कि उनकी सेवा अवधि विस्तार होगी या उसी दिन भूमिहार राज समाप्त हो जायेगा। वे बिहार के तीसरे भूमिहार मुख्य सचिव हुए हैं। इनसे पहले अशोक कुमार सिन्हा मुख्य सचिव थे, जो सेवानिवृत्ति के बाद मुख्य सूचना आयुक्त बनाये गये थे।
अभी बिहार में मुख्य सचिव के रैंक में 12 आईएएस अधिकारी हैं। वरीयता क्रम के अनुसार, संजीव कुमार सिन्हा, आमिर सुबहानी और अतुल प्रसाद मुख्य सचिव पद के प्रबल दावेदार हैं। भाजपा आमिर सुबहानी को पंसद नहीं करती है, क्योंकि उसे कुछ लोगों के नाम से नफरत है। मुख्य सचिव के चयन की अपनी प्रक्रिया है। इसमें मुख्यमंत्री की पंसद या नापसंद ज्यादा मायने रखती है। फिलहाल मुख्यमंत्री बड़े फैसलों में भाजपा मुख्यालय की सुनते हैं। प्रशासनिक मामलों में निर्णय भाजपा मुख्यालय करता है और कार्यान्वित नीतीश कुमार करते हैं।
त्रिपुरारि शरण की सेवा विस्तार को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। नीतीश कुमार अपने मुख्य सचिवों को सेवानिृत्ति के बाद बेरोजगार नहीं होने देते हैं। अंजनी कुमार सिंह से लेकर दीपक कुमार तक कई उदाहरण हैं। नीतीश कुमार का राज भूमिहार अधिकारियों के लिए ‘स्वर्ण युग’ रहा है। हालांकि त्रिपुरारि शरण का जुड़ाव सांस्कृतिक और साहित्य की पृष्ठभूमि से रहा है। उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया है। वे प्रो-पीपुल अधिकारी माने जाते हैं। वैसे उनके प्रशासनिक और राजनीतिक भविष्य का इंतजार 30 जून तक करना होगा।