शुक्रवार को विधान सभा की कम से कम आठ समितियों की बैठक आयोजित की गयी थी, जबकि हाल ही में विधानमंडल की तीन आर्थिक संसदीय समितियों का पुनर्गठन किया गया है। इन तीन समितियों में विधान परिषद सदस्यों को शामिल किया गया है, जबकि इनके सभापति पूर्ववत बने हुए हैं। विधान सभा और विधान परिषद की संयुक्त संसदीय समितियों की अध्यक्षता विधान सभा के हिस्से ही होती है।
लोक लेखा समिति के सभापति राजद के विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव हैं। यह पद विपक्ष दल के हिस्से में ही जाता रहा है। सभापति के अलावा 8 अन्य सदस्य इसमें शामिल हैं। इस समिति में विधान परिषद सदस्य के रूप में रामवचन राय (जदयू), रीना यादव (जदयू), देवेश कुमार (भाजपा) और रामचंद्र पूर्वे (राजद) को शामिल किया गया है।
प्राक्कलन समिति के सभापति भाजपा के नंद किशोर यादव हैं। इसके साथ 13 अन्य सदस्य इसमें शामिल हैं। इस संयुक्त समिति में विधान परिषद के 6 सदस्यों को शामिल किया गया है। विधान परिषद सदस्यों में ललन सर्राफ (जदयू), खालिद अनवर (जदयू), संजय पासवान (भाजपा), राजेंद्र गुप्ता (भाजपा), सुनील सिंह (राजद) और मदन मोहन झा (कांग्रेस) शामिल हैं।
सरकारी उपक्रम संबंधी समिति के सभापति जदयू के हरिनारायण सिंह हैं। इनके अलावा कमेटी में 7 अन्य सदस्य भी शामिल हैं। विधान परिषद के तीन सदस्यों को इसमें शामिल किया गया है। इसमें भीषम सहनी (जदयू), संजय प्रसाद (जदयू) और प्रेमचंद मिश्र (कांग्रेस) शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि विधान परिषद के जिन 13 सदस्यों को संयुक्त समितियों में शामिल किया गया है, उनमें से रीना यादव और संजय प्रसाद का कार्यकाल 16 जुलाई को समाप्त हो रहा है। ये दोनों स्थानीय प्राधिकार कोटे से एमएलसी हैं।
उधर, लोक लेखा समिति, महिला और बाल विकास समिति, प्रश्न और ध्यानाकर्षण समिति, गैरसरकारी संकल्प समिति, राजकीय आश्वासन समिति, बिहार विरासत विकास समिति और आचार समिति की बैठक शुक्रवार को आयोजित की गयी। इनकी बैठकों में निर्धारित कार्यसूची पर सभापति और सदस्यों ने विमर्श किया।
(तस्वीर: बिहार विरासत विकास समिति के सभापति भाई वीरेंद्र और अन्य सदस्य।)