पश्चिम चंपारण जिले के वील्मीकिनगर से जदयू के विधायक हैं धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू सिंह। दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं। 2015 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए थे। 2010 में पहला चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था। राजपूत जाति से आते हैं और वाल्मीकिनगर में राजपूत वोटरों की संख्या लगभग 10 हजार होगी।
वीरेंद्र यादव न्यूज के साथ चर्चा में उन्होंने कहा कि अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र संघ से की थी। दिल्ली विश्वविद्यालय में बीए और एलएलबी की पढ़ाई की। इसी दौरान छात्र राजनीति से जुड़े और छात्र संघ चुनाव के लिए निर्वाचित भी हुए। डिग्री लेने के बाद 2008 में वापस लौटे और राजनीति में सक्रियता बढ़ायी। विचारधारा के स्तर पर संघ के करीब रहे रिंकू सिंह ने पहला चुनाव 2010 में बसपा के टिकट पर लड़ा। इस चुनाव में उनको करीब 22 हजार वोट आये। चुनाव में पराजित होने के बाद भी राजनीति की जमीन पर सक्रिय रहे और विकल्प की तलाश में जुटे रहे। राजनीतिक ठौर की तलाश में विभिन्न पार्टियों के संपर्क में आये, लेकिन टिकट की व्यवस्था नहीं हो पायी। इस कारण 2015 में वे निर्दलीय मैदान में कूद पड़े। रालोसपा और कांग्रेस की लड़ाई में वोटरों ने विकल्प के रूप रिंकू सिंह को चुना और उन्हें विधान सभा भेज दिया। 2020 के चुनाव में उन्होंने जदयू का दामन थामा और दूसरी बार विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए।
विधान सभा के सत्र के दौरान अपनी भूमिका की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जनहित के मुद्दों को उठाते रहे हैं। निर्वाचन क्षेत्र समेत प्रदेश के अनेक हिस्सों के लोगों की समस्याओं को उठाते रहे हैं। रिंकू कहते हैं कि लगभग सभी गांवों और टोलों को सड़कों से जोड़ दिया गया है। गांव-गांव तक बिजली पहुंच गयी है। वाल्मीकिनगर में चार हजार सीट की क्षमता का कन्वेंशन सेंटर बनाया जा रहा है। पर्यटन विभाग का होटल बनवाया जा रहा है। इसके अलावा भी वाल्मीकिनगर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। वे कहते हैं कि विधायक के रूप जनसरोकार से जुड़े रहना ही प्राथमिकता है। जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने का हरसंभव प्रयास करते हैं।