पूर्व सांसद एवं केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के के पूर्व सदस्य राम अवधेश सिंह की 85 जयंती शनिवार को मनाई गई। इस मौके पर विचार गोष्ठी का आयोजन भी किया गया। बिहार अति पिछड़ा वर्ग संघ के अध्यक्ष विजय चौधरी की अध्यक्षता में संपन्न हुई इस गोष्ठी का संचालन वीरेंद्र यादव ने किया। इस मौके पर बिहार राज्य दफादार चौकीदार पंचायत के सचिव संत सिंह, अधिवक्ता रामचन्द्र सिंह, सूर्यवंश राय, उदय प्रताप, उपेंद्र कुमार, बिहार राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य चौधरी मायावती, सुरेश कुमार सिंह, जेता जहां, डाक्टर कृष्ण कबीर और अरुण नारायण आदि वक्ताओं ने रामअवधेश सिंह की शख्सियत के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला।
अपने अध्यक्षीय भाषण में अति पिछड़ा वर्ग संघ के अध्यक्ष विजय चौधरी ने कहा कि रामअवधेश बाबू वैचारिक रूप से पुष्ट थे। बुद्ध, कबीर,फूले, आंबेडकर और पेरियार उनके आदर्श रहे। अपनी पूरी राजनीति उन्होंने इन्हीं महापुरुषों को आदर्श मानकर खड़ी की। बिहार राज्य दफादार चौकीदार पंचायत के सचिव डॉक्टर संत सिंह ने रामअवधेश सिंह के जीवन संघर्ष के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि राम अवधेश बाबू ने भीषण गरीबी और सामाजिक पिछड़ापन देखा था। उनका पूरा जीवन बहुजन समाज को इसी पिछड़ेपन से मुक्त करने में लगा। उन्होंने आरक्षण लागू करने के लिए संसद से सड़क तक जो संघर्ष किया, उसका कोई विकल्प शायद ही बन पाया।
वरिष्ठ अधिवक्ता रामचंद्र सिंह ने राम अवधेश सिंह के शुरुआती जीवन संघर्ष, उनके द्वारा संपादित बदलाव और बिहार में पिछड़ों की लड़ाई के लिए किए गए उनके कामों के बारे में तफसील से बात की। उन्होंने कहा कि राम अवधेश बाबू जैसे नेता समाज में कभी-कभी पैदा होते हैं। बिहार राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य चौधरी मायावती ने कहा कि राम अवधेश बाबू पितातुल्य थे और उसी रूप में उनका स्नेह भी मिला था। राम अवधेश सिंह के छोटे पुत्र कृष्ण कबीर ने अपने पिता से जुड़ी कई सारी स्मृतियां साझा की। अरुण नारायण ने राम अवधेश सिंह के संपादकीय योगदान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि रामअवधेश सिंह ने बदलाव पत्रिका के माध्यम से सामाजिक न्याय और समाज में व्याप्त अकर्मण्यता पर जो प्रहार किया, वह बिहार की राजनीतिक पत्रकारिता का एक सर्वथा भिन्न धरातल है। इसपर शोध की जरूरत है। दफादार चौकीदार पंचायत के धर्मेंद्र कुमार सिंह ने रामअवधेश बाबू के आंदोलनों में उनकी उपस्थिति से जुड़े ढेर सारे प्रसंगों को जीवंत अंदाज में सुनाया।
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