पटना जिले के फतुहा स्थित आचार्य गद्दी कबीरपंथी मठ में पिछले 28 से 30 जून तक त्रिदिवसीय कबीर महोत्सव सह सांपद्रायिक सौहार्द मेला का आयोजन किया गया। इस दौरान बीजक पाठ, हवन, सदगुरु कबीर ज्ञान प्रदर्शनी, संत समागम, सांस्कृतिक कार्यक्रम, गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे का अखंड पाठ और अखंड भंडारा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में ‘कहत कबीर’ नाम से स्मारिका का लोकार्पण भी किया गया।
आचार्य गद्दी कबीरपंथी मठ फतुहा के संरक्षक महंत ब्रजेश मुनि ने आयोजन के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए मठ के ऐतिहासिक महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आचार्य गद्दी कबीरपीठ कई अर्थों में सबसे अलग और श्रेष्ठ कबीर मठ है। यहां सिख समुदाय की आस्था का प्रतीक ‘गुरु नानक कुआं’ है।
बताया जाता है कि 1506 में गुरु नानक देव जी महाराज गायघाट से राजगीर जाने के क्रम में कबीर मठ फतुहा में रुके थे और यहां सत्संग किया था। इसी क्रम में गुरु नानक देव जी ने देखा कि यहां पीने के लिए पानी गंगा नदी से लाया जाता था। मठ में पेयजल की व्यवस्था नहीं थी। लोगों की सुविधा के लिए गुरु नानक देव जी ने कबीर मठ परिसर में कुआं बनवाया। कहा जाता है कि उन्होंने इस कुआं को वरदान दिया था कि जो व्यक्ति इस कुआं के जल से स्नान करेगा, उसका अमृत जल ग्रहण करेगा, वह सभी दुखों से मुक्त हो जाएगा। इसी वरदान के कारण गुरु नानक कुआं सिख श्रद्धालुओं सहित सभी धर्मों के लिए आस्था का प्रतीक बन गया। महंत ब्रजेश मुनि ने मठ को गौरवशाली पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने पर बल दिया। इसी भावना से प्रेरित होकर कबीर महोत्सव सह सांप्रदायिक सौहार्द मेला का आयोजन किया गया।
इस मेले का उद्घाटन 28 जून को उपमुख्यमंत्री रेणू देवी ने किया। उन्होंने कहा कि कबीर दास जैसे महान संतों की कृपा से ही देश में सांप्रदायिक सौहार्द की परंपरा चली आ रही है। कबीरदास जी का जीवन ही सांप्रदायिक सौहार्द का उत्तम उदाहरण है। उन्हें हिंदू और मुसलमान दोनों समुदाय में समान आदर प्राप्त था। उन्होंने धर्म, जाति, वर्ग में एकरुपता कायम करने और मंदिर मस्जिद के भेद को समाप्त करने का प्रयास किया। इस मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान अवतार सिंह हित ने कहा कि यहां गुरु नानक देव के चरण पड़े हैं। इसलिए कबीर मठ फतुहा को सिख तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने में हर संभव सहयोग किया जाएगा। इसे सिख सर्किट से भी जोड़ने की पहल की जाएगी। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि आज समाज में सांप्रदायिक सद्भाव और जाति धर्म के भेदभाव से ऊपर उठकर समरस समाज के निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द मेला का आयोजन कर कबीर मठ फतुहा इसी दिशा में अग्रणी भूमिका निभाने का प्रयास किया है। बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के सदस्य विधायक रत्नेश सादा ने सदगुरु कबीर की वाणी में निहित ज्ञान के प्रकाश को जन-जन तक फैलाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द मेला का आयोजन अन्य मठों में भी होना चाहिए। सरकार को ऐसे आयोजनों को प्रोत्साहित करना चाहिए। राघोपुर के पूर्व विधायक सतीश कुमार ने कहा बिहार विधान सभा परिसर की तरह फतुहा कबीर मठ परिसर में भी कबीर वाटिका का निर्माण होना चाहिए। इससे फतुहा नगरवासियों को लाभ होगा और लोगों का मठ से भावनात्मक जुड़ाव होगा।
कबीर महोत्वस के दूसरे दिन संत समागम का विशेष आयोजन हुआ। इसमें काशी के संत ज्ञान प्रकाश शास्त्री, कबीर आश्रम बाढ़ के महंत योगानंद साहेब, पटना सिटी के महंत मन भंग दास शास्त्री, महंत अशोक दास, महंत अवधेश दास, महंत किशोरी दास, मंहत निर्मल दास, मंहत विवेक, संत विवेक मुनि आदि शामिल हुए। इस अवसर पर कबीर मठ के संरक्षक महंत ब्रजेश मुनि ने कहा कि धार्मिक सद्भाव और सौहार्द के लिए सदगुरु कबीर के सदवचनों में निहित ज्ञान का प्रकाश जनता के बीच फैलाने की जरूरत है। इसी दिशा में प्रथम प्रयास के रूप में सांप्रदायिक सौहार्द मेला आयोजित किया गया है। तीसरे और अंतिम दिन समापन समारोह में विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि सदगुरु कबीर साहेब ने भेदभाव से ऊपर उठकर सबको एक मनुष्य की जाति बताकर सौहार्दपूर्ण मानवीय सामाजिक जीवन जीने की सीख दी है। कबीर साहेब ने जो सांप्रदायिक सौहार्द की चेतना जगाई, आज उसे जन-जन में प्रसारित करने की जरूरत है। बिहार विधान परिषद सदस्य गुलाम गौस ने कहा कि कबीरदास प्रेम, सत्य और मानवता के पुजारी थे।
सांप्रदायिक सौहार्द मेला सह कबीर महोत्सव के आयोजन में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अरुण कुमार पांडेय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके साथ ही मठ की न्यास समिति के सहसचिव हृदय नारायण झा, सदस्य संत विवेक मुनि, सदस्य शारदा देवी, सदस्य प्रोफेसर संत हरीश दास, समाजसेवी शोभा देवी, सत्येंद्र सिंह, अभिषेक कुमार समेत फतुहावासियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। तीन दिवसीय आयोजन में यह बात साफ होकर सामने आयी कि देश में हिंदू-मुस्लिम एकता सहित परस्पर सांप्रदायिक सद्भाव कायम करने के लिए सदगुरु कबीर साहेब के आदर्शों पर आधारित सांप्रदायिक सौहार्द मेला का आयोजन हर जगह होना चाहिए।
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