बिहार विधान सभा के लिए अब तक 18 बार उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ है। इसमें शकूर अहमद लगातार दो बार उपाध्यक्ष्य चुने गये थे। शेष 16 लोग एक-एक बार निर्वाचित हुए हैं। 2000 तक उपाध्यक्ष का चुनाव नियमित रूप से होता रहा था, लेकिन 2000 के बाद इसके निर्वाचन में अनियमितता आयी। एक मात्र उपाध्यक्ष राधानंदन झा थे, जो उपाध्यक्ष के तुरंत बाद 1980 में विधान सभा के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए थे।
उपाध्यक्ष के कार्यकाल और उनकी भूमिका को लेकर एक नया तथ्य सामने आया है। उपाध्यक्ष पद पर जब किसी पासवान जाति के व्यक्ति का चुनाव होता है, तब उनके कार्यकाल में अध्यक्ष की विदाई हो जाती है। अब तक दो अध्यक्षों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है और दोनों के कार्यकाल में उपाध्यक्ष पासवान जाति की थे। इन्हीं दो लोगों को अध्यक्ष के चैंबर में बैठकर विधायी कार्यों को निष्पादित करने का मौका मिला।
1985 में शिवनंदन पासवान उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। उस विधान सभा के अध्यक्ष शिवचंद्र झा थे। उन्हें कांग्रेस के आपसी विवाद के कारण अध्यक्ष पद से 23 जनवरी, 1989 को इस्तीफा देना पड़ा था। जबकि नये अध्यक्ष मो. हिदायुतल्ला खां का चुनाव 27 मार्च, 1989 को हुआ था। इस्तीफा और चुनाव के बीच लगभग 2 महीने के अंतराल में अध्यक्ष की जिम्मेवारी का निर्वाह शिवनंदन पासवान ही कर रहे थे। अध्यक्ष के चैंबर में ही बैठकर विधायी कार्य का निर्वाह करते थे।
इधर, दूसरी बार अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा विजय कुमार सिन्हा को देना पड़ा। इनका निर्वाचन 25 नवंबर, 2020 को हुआ था, जबकि महेश्वर हजारी का उपाध्यक्ष के रूप में चुनाव 24 मार्च, 21 को हुआ था। महेश्वर हजारी भी पासवान जाति से आते हैं। जदयू के साथ भाजपा का गठबंधन टूटने के बाद अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस के आलोक में विजय सिन्हा ने 24 अगस्त, 2022 को इस्तीफा दिया और 26 अगस्त, 2022 को राजद के अवध बिहारी चौधरी का चुनाव अध्यक्ष के रूप में हुआ। अध्यक्ष के इस्तीफा और चुनाव के बीच लगभग 48 घंटे का फासला रहा और इस अवधि में उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी स्पीकर के चैंबर में अपने विधायी दायित्वों का निर्वाह करते रहे। यह महज संयोग है कि ब्राह्मण और भूमिकार के इस्तीफे से खाली हुए आसन को अस्थायी रूप से संभालने का जिम्मा पासवानों को मिला। वैसे भी बिहार में तीन बार कार्यकारी मुख्यमंत्री बनने का अवसर भी अकेले भोला पासवान शास्त्री को मिला था। इनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हर बार बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।