वरिष्ठ पत्रकार हैं अकु श्रीवास्तव। बिहार के लिए यह नाम परिचित है। अकु श्रीवास्तव दैनिक हिंदुस्तान, पटना के संपादक रहे हैं। 23 सितंबर को वे फिर पटना आ रहे हैं। इस बार उनकी पटना यात्रा लेखक के रूप में है। हाल में ही उनकी पुस्तक प्रकाशित हुई है। हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में। नाम है- सेंसेक्स: क्षेत्रीय दलों का। इसको प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इसी पुस्तक का लोकार्पण 23 सितंबर को एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में होगा, समय साढ़े 11 बजे निर्धारित है। यह आयोजन एक उत्सव के समान भी होगा, क्योंकि उस कार्यक्रम में अकु श्रीवास्वत से जुड़े पत्रकार भी पहुंचेंगे। इस मौके पर कई नये-पुराने लोगों से मुलाकात भी होगी।
अकु श्रीवास्वत ने अपनी पुस्तक की विषय वस्तु के संबंध में चर्चा करते हुए birendrayadavnews.com को बताया कि इस पुस्तक में क्षेत्रीय दलों के उत्थान और उस पर एक व्यक्ति या परिवार के आधिपत्य की पृष्ठभूमि की वजह का विश्लेषण किया गया है। आजादी के बाद क्षेत्रीय आकांक्षाओं ने अंगड़ाई लेने की शुरुआत की। इसी अंगड़ाई ने नयी-नयी पार्टियों को जन्म दिया। डॉ राममनोहर लोहिया आजादी के दौर के भी बड़े नेता थे, लेकिन आजादी के बाद कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ समाजवादी धारा के प्रमुख विचारक बने। केरल या तमिलनाडू जैसे राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों का उदय होने लगा था, लेकिन डॉ लोहिया की वैचारिक धारा से अनु्प्राणित गैरकांग्रेसवाद इतना ताकतवार हुआ कि 1967 में कई राज्यों ने गैरकांग्रेसी सरकार बनी। इन सरकारों को संविद (संयुक्त विधायक दल) का नाम दिया गया। उसमें बिहार भी शामिल था।
पुस्तक अकुश्री ने सभी राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों के उदय के अलग-अलग कारणों का विस्तृत रूप से उल्लेख किया है और उन पार्टियों की केंद्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका पर फोकस किया है। 1977 में क्षेत्रीय पार्टियों को मिलाकर ही जनता पार्टी बनी थी और उसी तरह 1989 में क्षेत्रीय दलों के विलय से जनता दल था। यह भी संयोग है कि जनता पार्टी और जनता दल के बिखराव से भी नयी पार्टियों का जन्म हुआ। पार्टियों के विलय और बिखराव ने भी क्षेत्रीय दलों की राजनीतिक ताकत बढ़ाने में बड़ी भूमिका का निर्वाह किया है। बिहार के संदर्भ में ही देखें तो जनता दल से टूट-टूट कर कई पार्टियां बनीं तो समता पार्टी के जदयू में विलय के बाद नीतीश कुमार एक मजबूत राजनीतिक ताकत के रूप में उभरे।
सेंसेक्स: क्षेत्रीय दलों का प्रकाशन वैसे समय में हुआ है, जब केंद्रीय सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी को बिहार में सत्ता से बेदखल कर दिया गया और उसकी जगह सात दलों की नयी महागठबंधन सरकार बनी। इन सात दलों में से 4 पार्टी राजद, जदयू, हम और माले क्षेत्रीय दल हैं, जबकि कांग्रेस, सीपीआई एवं सीपीएम का बिहार के संदर्भ में क्षेत्रीय अस्तित्व ही है। इस परिप्रेक्ष्य में इस पुस्तक की विषय-वस्तु और प्रकाशन ज्यादा प्रासंगिक हो गया है। उम्मीद की जानी चाहिए लोकार्पण समारोह में पुस्तक के लेखक अकु श्रीवास्तव पुस्तक के औचित्य और प्रासंगिकता पर विस्तृत राय भी रखेंगे।