शाहाबाद का जिला है बक्सर। बक्सर के चार, रोहतास के एक और कैमूर जिले के एक विधान सभा क्षेत्र को मिलाकर बना है बक्सर लोकसभा क्षेत्र। 1952 में इसका बड़ा इलाका शाहाबाद उत्तर-पश्चिमी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था और निर्दलीय कमल सिंह सांसद निर्वाचित हुए थे। 1957 में कई लोकसभा क्षेत्रों का नाम बदल दिया गया और बक्सर लोकसभा क्षेत्र पहली अस्तित्व में आया।
इसके पहले सांसद के रूप में स्वतंत्र पार्टी के कमल सिंह निर्वाचित हुए और यह उनका दूसरा कार्यकाल था। 1962 में यहां से अनंत प्रसाद शर्मा निर्वाचित हुए। 1967 में रामसुभग सिंह और 1971 अनंत प्रसाद शर्मा फिर निर्वाचित हुए। ये दोनों कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए थे। 1977 में रामानंद तिवारी जनता पार्टी के टिकट पर चुने गये थे।
परंपरागत रूप से बक्सर कांग्रेसी सीट नहीं रही है और यहां मिक्स पोलिटिकल कल्चर रहा है। हर पार्टी और धारा के लोग निर्वाचित होते रहे हैं। 1980 और 1984 में यहां से कांग्रेस से कमलकांत तिवारी निर्वाचित हुए थे और इसके बाद से कांग्रेस की वापसी नहीं हुई। सीपीआई के तेजनारायण सिंह यादव 1989 और 1991 में निर्वाचित हुए। 1996 से 2004 तक लगातार चार बार भाजपा के लालमुनि चौबे निर्वाचित हुए तो 2009 में राजद के जगदानंद सिंह चुने गये। 2014 और 2019 में भाजपा के अश्विनी चौबे निर्वाचित हुए।
2024 लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ने लगी है। इस बार भाजपा के अश्विनी चौबे की सांस अटकी हुई है। उम्र के आधार पर उनकी टिकट कट जाने की आशंका है। वैसे में भाजपा में नये चेहरे की तलाश भी शुरू हो गयी है। नये चेहरे में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री मंगल पांडेय का नाम प्रमुख रूप से आ रहा है। वे मूलत: सीवान के रहने वाले हैं, लेकिन बक्सर के सामाजिक समीकरण को देखते हुए मंगल पांडेय को उपयुक्त माना जा रहा है। राजद की ओर से प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को फिर मैदान में उतारा जा सकता है। वे एक बार बक्सर का प्रतिनिधित्व का चुके हैं। जदयू के लिए बक्सर हासिये की सीट रही है। इस सीट से एनडीए गठबंधन के रूप में बराबर भाजपा के उम्मीदवार मैदान में रहे हैं। इसके अलावा पूर्व विधायक ददन पहलवान भी बक्सर के खेल को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते रहे हैं।
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