विधान मंडल के गलियारे में बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जन्मदिन की धूम रही। हर कोई मुख्यमंत्री से मिलकर बधाई देना चाह रहा था। विधान सभा और परिषद स्थित सीएम चैंबर में मिलने वालों का तांता लगा रहा। हम 2 बजे से थोड़ी देर पहले विधान सभा स्थित सीएम चैंबर में पहुंचे। मुख्यमंत्री को वीरेंद्र यादव न्यूज की कॉपी देकर सामने वाली सीट पर बैठ गये। सभी दलों के विधायक आ रहे थे और उन्हें शुभकामनाएं दे रहे थे। इस दौरान एक पत्रकार ने पूछा कि प्रधानमंत्री की ओर बधाई मिली या नहीं। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्विट तो देखे हैं। इसी बीच जन्मदिन पर मिठाई की मांग उठ गयी। इस मांग की पूर्ति का जिम्मा भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने अपने कंधे पर उठाया। थोड़ी देर बाद जन्मदिन का डिब्बा दोनों सदनों में बांटा गया, लेकिन हम इस अवसर का लाभ नहीं उठा सके। हमने अपने पड़ोसी के डिब्बे में ही ‘डाका’ डाल दिया।
मुख्यमंत्री से मिलने वाले सभी लोग गुलाब या गुलदस्ता देकर शुभकामनाएं दे रहे थे। हमारे सामने संकट था कि जन्मदिन के मौके पर सीएम को क्या भेंट करें। फिर ध्यान में आया कि पुस्तक भेंट की जाये, पर कौन सी पुस्तक। हमारे पास पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के भाषणों का संकलन वाली पुस्तक उपलब्ध है। संजीव चंदन और मार्जिनलाइज्ड प्रकाशन द्वारा प्रकाशित और अरुण नारायण द्वारा संपादित पुस्तक का नाम है – सदन में लालू प्रसाद: प्रतिनिधि भाषण। इस पुस्तक को घर से लाना दूरी के कारण मुश्किल था। इसलिए संजीव चंदन और अरुण नारायण से बातचीत की। इस बातचीत में राह निकली कि जनशक्ति पुस्तक दुकान में एक कॉपी उपलब्ध है। वहां से पुस्तक लेकर विधान सभा वापस आये। राज्यपाल के अभिभाषण पर मुख्यमंत्री का भाषण चल रहा है। थोड़ी देर बाद उनका संबोधन समाप्त हुआ। हम प्रेस दीर्घा से निकलकर सीएम चैंबर के पास पहुंचे। मुख्यमंत्री के चैंबर में फिर मिलने और शुभकामना देने का सिलसिला शुरू हुआ। उसी क्रम हम भी सीएम चैंबर में गये। हमने उनके जन्मदिन पर पुस्तक भेंट की। इस दौरान हमने कहा कि इस पुस्तक में लालूजी के विभिन्न सदनों में दिये गये भाषणों का संकलन है। आपके भी भाषणों का संकलन प्रकाशित है, उसी तरह यह संकलन भी है। उल्लेखनीय है कि विधान मंडल और संसद में नीतीश कुमार द्वारा दिये प्रमुख भाषणों का संकलन और संपादन सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र पाठक ने किया है।
लालूजी के भाषणों की पुस्तक भेंट करने मकसद यह भी था कि मुख्यमंत्री उनके सबसे करीबी सहयोगी रहे हैं। राजनीतिक और वैचारिक मतभेद के बावजूद आड़े वक्त में दोनों एक-दूसरे की मदद के लिए तैयार रहे हैं।
बुधवार को दिन भर दोनों सदनों की फेरी लगाते रहे। विधान परिषद स्थित उपमुख्यमंत्री चैंबर में वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव से मुलाकात हुई, जबकि विपक्षी लॉबी में सर्वेश कुमार, राजेंद्र गुप्ता, दिलीप जयसवाल, अशोक अग्रवाल, जनक चमार, दिलीप सिंह, प्रमोद चंद्रवंशी आदि से मुलाकात हुई। विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा अभी अध्यक्ष होने के भाव से मुक्त नहीं हुए हैं। अभी विपक्ष की भूमिका पूरी तरह आत्मसात नहीं कर पाये हैं। यह स्थिति विपक्षी दल के अनुकूल नहीं है। दोनों सदनों में विपक्ष द्वारा हंगामा और बहिष्कार का सिलसिला जमता और थमता रहा।