भाजपा विधायक लखेंद्र पासवान का निलंबन मंगलवार को विकराल रूप धारण कर लिया था और अगले ही दिन बुधवार को ताड़ का तिल हो गया। इसे आप हेडिंग पोलिटिक्स कह सकते हैं। लखेंद्र पासवान और सत्यदेव राम दोनों मंगलवार को ही खेद व्यक्त कर दिये होते तो निलंबन की खबर अंदर के पन्नों पर चली जाती। यह खबर किसी कोने में दब जाती। लेकिन मामले को खींच कर दोनों ने महत्वपूर्ण बना दिया और फिर खेद व्यक्त कर खुद महत्व हासिल कर लिया।
राजनीति में भी रिश्ता होता है, कभी वोट का, कभी क्षेत्र का, कभी पार्टी का तो कभी जाति का। सत्ता का रिश्ता राजनीति का प्राणतत्व है। एक कहावत है राजा भोज और भोजवा तेली की। राजनीति में कुर्सी का पक्ष बदलते ही राजा भोज और भोजवा तेली की भूमिका बदल जाती है। लखेंद्र पासवान प्रकरण में तीन लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। जदयू के सबसे महत्वपूर्ण विधायक और संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी, नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा और कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा। तीनों में एक समानता है, यहां भी एक रिश्ता है।
बुधवार को भोजनावकाश के बाद संसदीय कार्यमंत्री विजय चौधरी के आग्रह पर स्पीकर अवध विहारी चौधरी ने कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा को सदन का प्रतिनिधि बनाकर पर धरना पर बैठे भाजपा विधायकों के पास भेजा। उनका नेतृत्व नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा कर रहे थे। अजीत शर्मा के सदन से निकलने बाद हम भी प्रेस दीर्घा से बाहर निकले और धरना दे रहे विधायकों के पास पोर्टिको में पहुंच गये। अजीत शर्मा ने स्पीकर का संदेश धरना पर बैठे विधायकों तक पहुंचाया। उन्होंने सत्ता और विपक्ष की रणनीति का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि लखेंद्र रौशन और सत्यदेव राम दोनों सदन में खेद व्यक्त कर देंगे। इसी शर्त पर मामला सलट गया। इसके बाद पोर्टिको में भरत मिलाप का दृश्य उत्पन्न हो गया। इस दृश्य को पाठक कुछ और नाम भी दे सकते हैं। जैसे कर्ण-कृष्ण विलाप भी कह सकते हैं। एक तरह अजीत शर्मा हाथ जोड़कर खड़े थे और दूसरी तरह विजय सिन्हा। कुछ सेकेंड की बातचीत में मामला सलट गया। विपक्ष के लोग सरकार के साथ सहयोग करने के लिए सदन की ओर बढ़ चले, लेकिन मामला दरवाजे पर अटक गया। सवाल यह था कि सदन में पहले कौन जाएंगे। भाजपा विधायक थोड़ी देर ठिठके रहे, फिर विजय सिन्हा ने सदन की ओर पहला कदम बढ़ाया। तीन व्यक्तियों के बाद हमने चौथे व्यक्ति से पूछ लिया- मामला सलट गया क्या। उन्होंने कहा- दोनों सदन में माफी मांगने को तैयार हो गये हैं।