वहीं दूसरी ओर कांग्रेस का जनाधार लगातार खिसकता जा रहा है। अब तो आलम यह है कि तमाम विपक्षी पार्टियों के प्रमुख नेता भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार न बनाए जाने की वकालत कर रहे हैं। इससे विपक्षी पार्टियों के नेतृत्व को लेकर कांग्रेस पर बड़ा सवाल उठने लगा है। कांग्रेस नेता भी राहुल गांधी के नेतृत्व को नकारने लगे हैं।
श्री पांडेय ने कहा कि विपक्ष की एकता खंडित हो रही है। कारण पीएम मोदी की लोकप्रियता के सामने कोई विकल्प का न होना है। कोलकाता में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कहा कि कांग्रेस का जनाधार लगातार समाप्त हो रहा है। यह बयान इस बात का गवाह है कि उनको राहुल का नेतृत्व पसंद नहीं है। वहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी अब यह बयान दे दिया कि पीएम मोदी की लोकप्रियता के सामने राहुल गांधी नहीं टिक पाएंगे। हम यदि राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ेंगे तो हार निश्चित है। यही नहीं कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद भी राहुल गांधी के बजाए प्रियंका गांधी वाड्रा को पीएम उम्मीदवार बनाने की वकालत कर रहे हैं। तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की राहें भी कांग्रेस से जुदा हैं। पूरी तरह से सभी विपक्ष बिखरा है और नेतृत्व के अभाव में बीजेपी से मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है।