राजनीतिक कोलाहल के बीच तेजस्वी यादव ने खींच दी संभावनाओं की लकीर
हमें ना अण्णे मार्ग की इच्छा, ना नीतीश जी को लोक कल्याण मार्ग की लालसा
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने 20 मार्च को विधान सभा में पथ निर्माण विभाग के बजट पर चर्चा के दौरान स्पष्ट रूप से राजनीतिक संभावनाओं की लकीर खींच दी है। सत्ता के गलियारे में होने वाले राजनीतिक कोलाहल और अटकलों पर पूरी तरह विराम लगा दिया। तेजस्वी यादव ने साफ शब्दों में कहा कि उन्हें न एक अण्णे मार्ग में जाने इच्छा है और न नीतीश कुमार को सात लोक कल्याण मार्ग यानी प्रधानमंत्री आवास में जाने की कोई लालसा है। जहां हैं, वहां खुश हैं। तेजस्वी यादव ने अपने संबोधन में कहा कि न हमको मुख्यमंत्री बनना है और न नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनना है। हम पथ निर्माण विभाग के बजट पर तेजस्वी यादव के संबोधन का संपादित अंश पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।
अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपने मौका दिया और साथ-ही-साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने एक अवसर मुझको दिया है, एक भारी जिम्मेवारी दी है, जिसको पूरी ईमानदारी के तहत इस जवाबदेही को हम पूरा करने में लगे हैं। महोदय, नेता प्रतिपक्ष तो चले गए, उनसे हमें सवाल पूछना था, लगता है किसी ने पहले ही उनको हिंट कर दिया। महोदय, इस सदन में सभी लोगों के सामने उन्होंने बोला था कि तमिलनाडु की घटना अगर गलत साबित हो गई तो मैं माफी माँगूंगा। उनके कहने पर मुख्यमंत्री जी ने संज्ञान में लेते हुए वहां टीम भी भेजी और बात स्पष्ट रूप से तमिलनाडु की पुलिस हो, बिहार की पुलिस हो, उन्होंने साफ तौर पर बोला कि जो घटना हुई थी, यह एक फेक वीडियो था, एक प्रोपगेंडा था दो राज्यों को लड़ाने की। महोदय, ये लोग तो भारत माता की जय बोलते हैं लेकिन तमिलनाडु इसी भारत का अंग है, लेकिन कितनी मन में घृणा है, जहर है, नफरत है। इन लोगों ने बिना जांच-पड़ताल किए हुए, बिना क्वेरी किए हुए बिना वेरिफाई किए हुए आकर के हंगामा करना। अभी यहीं के रिपोर्टर बेचारे लिख करके बाहर जा रहे थे तो हंगामा करने लगे। अरे बाहर का लोग कैसे आ गया, ये अभी साबित हुआ है। महोदय, मतलब बिना हाथ-पैर के जो मन में आता है ये लोग बोलते हैं।
महोदय अब नेता प्रतिपक्ष जैसे भी हों, नेता प्रतिपक्ष हैं संवैधनिक पद है तो कम से कम अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन करना चाहिए। हमको और नीतीश जी को पता नहीं था कि हम जब एक होंगे तो इनके तोते जो हैं, पिंजरे से बाहर निकलेंगे। मुख्यमंत्री जी जो हमारे अभिभावक हैं, उनको भी पता था कि तोते जो हैं, निकलेंगे पिंजरे में से। अब ये लोग कह रहे हैं कि हमको माफी मांगना पड़ेगा, ये करना पड़ेगा, इस्तीफा मांग रहे थे, ईडी, सीबीआई की जांच की बात कर रहे थे।
महोदय, ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स, जांच कोई नया है। 2017 में इनके एक नेता हैं अफवाह मियां, दिन भर पीसी करना, दिन भर गरियाना। पीसी करते हैं पिछली बार 2017 में पीसी किये कि मिट्टी घोटाला हो गया, मिट्टी घोटाला हो गया। बाद में गठबंधन टूट गया, भ्रम फैलाया गया, अफवाह फैलाया गया, कन्फ्यूजन पैदा किया। वही बड़बोले नेता फिर संबंधित विभाग के मंत्री बने, मिट्टी घोटाले पर ही मिट्टी डाल दिये। जिन्हें उनकी पार्टी ने ही राजनीतिक रूप से दफन कर दिया वो अपनी प्रासंगिकता खोजने के लिये उसी मिट्टी तले दबे हुये, हाथ-पांव निकाल अपने आकाओं का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। सबलोगों ने देखा था क्या बकवास बातें। महोदय डेली, हम तो पूछते हैं कि नया क्या बोल रहे हैं। जो आप बोल रहे हैं, वो दो बार सीबीआई जांच करके बंद कर दिया, ईडी जो है जांच करके बंद कर दिया। एक-एक की बात बोलते जाते हैं लेकिन अपने अशियाना के बारे में नहीं बताते हैं। अशियाना जो है उनका उसके बारे में भी उनको जिक्र करना चाहिये लेकिन कोई नहीं, अब जांच होगी तो हम तो जायेंगे। अब किस प्रकार से रेड प़ड़ा, नहीं पड़ा, क्यों हो रहा है असली डर महोदय 2024 का है। ये जान रहे हैं, ये कहीं टिकने वाले नहीं हैं। 6 साल से क्या कर रहे थे, क्या हुआ एक हो गये तो फिर से इनका तोता पिंजड़ा से बाहर आ गया। कोई काम तो किये नहीं, कोई एविडेंस हो तो लाओ न भाई। बोला गया कि मेरे यहां से कितना छह सौ करोड़, खजाना मिला। हम बोलें उनको सीजर लिस्ट तो दिखा दो ईडी वाले, पंचनामा होता है दिखा दो पता चल जायेगा। तो ये सब तो दिखाना नहीं है।
हमलोगों के काम को जो नीतीश जी के नेतृत्व में महागठबंधन सरकार काम कर रही है जनता के प्रति, बिहार के प्रति और ये जनता की मांग थी कि भाई महागठबंधन की सरकार बने और जरूरत थी, उसको देखते हुये बनी है। जनता के लिये काम करे तो केवल चरित्र हनन करना और मेन जो काम कर रहा है हमलोग 20 लाख नौकरी की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि देना शुरू कर दिये तो उसके बाद से ये लोग परेशान हैं।
इनके गीदड़ भभकी से हमलोग डरने वाले हैं क्या। पूर्णिया में तो हमलोग कह ही न रहे थे। अब विजय माल्या कौन है इनको नहीं याद आयेगा, मेहुल चोकसे कौन है, इनको याद नहीं आयेगा। नीरव मोदी कौन है, ललित मोदी कौन है और फलां गुजराती भाई लोग कौन हैं, याद नहीं न आयेगा। अभी जो 80 हजार करोड़ का घोटाला हुआ, सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बैठा दी इनका तोता निकल ही नहीं रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट जब संज्ञान लेकर कमेटी बैठा दी तो इनका तोता क्यों नहीं निकलता है महोदय। निकालना न चाहिए लेकिन वह घोटाला नहीं होगा।
महोदय, आडवाणी जी, अटल जी जब थे तो ऐसा माहौल नहीं था, भले ही विचार में हम लोग अलग थे लेकिन यह तो अलग ही माहौल है ये तो पॉलिटिकल विंडिक्टिव से भी ज्यादा जो है, एकदम पर्सनल हो गये ये लोग। कोई नया कुछ नहीं एक ही केस जो है तीन-चार बार जांच होकर के बंद कर दिया गया, जिसका पार्लियामेंट में भी जवाब दिया गया कि कुछ नहीं है। डीए केस हुआ हमारे पूरे परिवार पर जब डीए केस हम लोग सुप्रीम कोर्ट से जीत गये तब भी लगे पड़े हैं ये लोग लेकिन इन लोगों का शातिरपना चलने वाला नहीं है। जब लालू जी नहीं डरे तो लालू जी का बेटा भी डरने वाला नहीं है और हमारे पुरखे, हम लोग समाजवादी लोग हैं, हमारे नेता के संघर्ष, साझी विरासत और वैचारिकी का खून मेरी रगों में दौड़ रहा है तो न डरने का, न झुकने का कोई सवाल पैदा ही नहीं होता। महोदय, हम लोग लड़ाई लड़ेंगे और जो है लड़ाई लड़कर जीतेंगे।
अध्यक्ष महोदय, जनता सब देख रही है और जनता हम लोगों के साथ है। इन लोगों के पास न कोई नेता है, न कोई विचार है, यह तो आप जान ही रहे हैं कि किस प्रकार का विचार है। ये लोग तो गांधी जी की पुण्यतिथि में जश्न मनाने वाले लोग हैं, ऐसे लोग जो बापू को भद्दी-भद्दी गालियां देते हैं। क्या नहीं करते हैं, असली निशाना तो वहां है। खैर आरएसएस का जो एजेंडा है। हम मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देते हैं कि सही समय पर इन्होंने जो निर्णय लिया, पूरा देश इनको देख रहा है, बधाई दे रहा है कि सही निर्णय आपने लिया, सही समय पर निर्णय लिया और हम लोगों की कोशिश है कि सब लोग मिलजुलकर लड़ें, न हमको मुख्यमंत्री बनना है, न इनको (नीतीश कुमार ) प्रधानमंत्री बनना है। जहां हैं, वहां खुश हैं। इनके नेतृत्व में काम कर रहे हैं। हमें खुशी है तो इसलिए काम करने से मतलब है। जनता को दिक्कतें जो आ रही हैं, समस्याएं जो आ रही हैं, उनका समाधन करने से हम लोगों को मतलब है। अपनी इच्छा क्या है। अब हमसे ज्यादा भाग्यशाली कौन होगा। मेरे माता-पिता दोनों मुख्यमंत्री रहे हैं, हम उप मुख्यमंत्री रहे, विपक्ष के नेता रहे और क्या चाहिए हमें। लेकिन जो इन्होंने मौका दिया हमको, इनके डिसिजन पर भी खरा उतरना है कि जो इन्होंने निर्णय लिया वह सही लिया, इनके लिए हम लड़ रहे हैं। कोई इधर-उधर से बातचीत करता है, वह गलत बात न किया करे, तरह-तरह की बातें होती हैं, कोई कुछ भी करेगा जब हम इनके साथ खड़े हैं तो मजबूती के साथ खड़े हैं, कोई डगमगा नहीं सकता।