मोतिहारी के विधायक प्रमोद कुमार ने कटौती प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए कहा कि ग्रामीण विकास का अर्थ होता है कि गांव, गरीब और किसान का आर्थिक सुधार और बड़ा सामाजिक बदलाव। लेकिन इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं दिखायी दे रही है। महोदय, कब्रिस्तान में मिट्टी भराई के नाम पर 44 लाख का घोटाला हुआ है, यह मनरेगा की कहानी है। यह मैं नहीं कह रहा हूं, यह अखबार में बात आयी है, यह अखबार का समाचार है। अखबार में जो बात आयी है कि तय समय पर ग्रामीण सड़कों की मरम्मत नहीं हो रही है।
महोदय, गांव, गरीब और किसानों की जो तरक्की की बात हो रही है, यह 400 से ज्यादा अरवा चावल मिल की संकट पड़ गई है। अगलगी में सबसे अधिक ग्रामीण कार्य विभाग को नुकसान हुआ लेकिन वहां के गांव का विकास अभी तक नहीं हो सका है, जिसका घर उजड़ गया, उसका घर बनाने के लिए कोई योजना सरकार नहीं बना सकी। महोदय, आज जो राज्य के पैमाने पर गांव के जो गरीब लोग हैं, जो ताड़ी के कारोबार करने वाले पासी समाज के लोग हैं, आज वे लोग बेरोजगारी के कगार पर आ गये और इस शराबबंदी के कारण ताड़ी व्यवसायी लोगों की जो माली हालत है, जो ताड़ी व्यवसायी और सतत् विकास की जो योजना है, वह कागज पर ही चल रही है। महोदय, राशि के अभाव के बारे में इस सदन में बजट में बात आयी है कि राशि के अभाव में अटक गया अमृत सरोवर का निर्माण। कहते थे कि जो हमलोग काम करते हैं, उसका भारत सरकार अनुकरण करती है तो फिर क्यों अटक गया अमृत सरोवर का काम। केन्द्र ने बिहार को दिया 53 लाख मकानों की स्वीकृति , लेकिन अब तक इनकी स्थिति क्या है? महोदय, बाजू में मसौढ़ी पटना जिला का है, वहां शौचालय के लिए देख लीजिए महादलित वर्ग के लोग आंदोलन कर रहे हैं। सर, ये महादलित वर्ग की बात है। मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी बर्खास्त हुए कागजी खानापूर्ति करने में ये सरकार की उपलब्धि। पुरानी बात नहीं है सब नया बात है। मनरेगा का काम बंद और खेत में मजदूर परेशान। महोदय, इन सभी जॉबकार्ड की जांच में गायब हुए 35 लाख मनरेगा मजदूर। आंगनबाड़ी सेविका के नाम पर मनरेगा की मजदूरी हुई है।