बिहार विधान परिषद की सामाजिक संरचना में तेजी से बदलाव आ रहा है। अब सवर्णों का दखल दरकने लगा है। शिक्षक और स्नातक कोटे की सीटों पर तीन जातियों का दखल रहता था- राजपूत, ब्राह्मण और भूमिहार। इसको सबसे मजबूत चुनौती यादव जाति से मिलने लगी। नवलकिशोर यादव, वीरेंद्र नारायण यादव, एनके यादव जैसे लोगों ने अलग-अलग सीटों पर चुनौती देने की शुरुआत की। दरभंगा और तिरहूत सीट पर ब्राह्मणों का प्रभाव अभी बचा हुआ है। हालांकि उन सीटों पर भी मजबूत चुनौती मिलने लगी है।
हाल ही में विधान परिषद की चार सीटों पर नियमित और एक सीट पर उपचुनाव हुआ। चार में से तीन सीटों पर वर्तमान सदस्य फिर से निर्वाचित हो गये। इस कारण जातीय संरचना में बदलाव नहीं दिखता है। पुननिर्वाचित होने वालों में गया स्नातक सीट से अवधेश नारायण सिंह, सारण स्नातक सीट से वीरेंद्र नारायण यादव और कोसी शिक्षक सीट से संजीव कुमार सिंह शामिल हैं। गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जदयू के संजीव श्याम सिंह को पराजित कर भाजपा के जीवन कुमार स्वर्णकार ने जीत दर्ज की है। गया के शिक्षक या स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले जीवन कुमार स्वर्णकार पहले गैरसवर्ण सदस्य हैं। कथित रूप से सामंती प्रभाव वाले इलाके में स्वर्णकार की जीत सामाजिक संरचना के हिसाब से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जीवन कुमार की जीत इसलिए भी मायने रखती है कि भाजपा ने पहली खेप में टिकट देने से इंकार कर दिया था। भाजपा की पहली सूची में जिन चार सदस्यों का नाम था, उसमें जीवन कुमार शामिल नहीं थे। पहली सूची के चार उम्मीदवार में तीन चुनाव हार गये, जबकि अवधेश सिंह विधान परिषद के लिए छठी पर बार निर्वाचित हुए।
भाजपा को जब कोई सक्षम उम्मीदवार या सहयोगी नहीं मिला तो थक-हार कर जीवन कुमार स्वर्णकार को अपना उम्मीदवार बनाया और दूसरी सूची में उनका नाम जारी किया। जीवन कुमार को क्षेत्र की सामाजिक बनावट के हिसाब से कमजोर उम्मीदवार माना जा रहा था। लेकिन जीवन कुमार ने अपनी ताकत और पार्टी के मैनेजमेंट (आधार नहीं) का ऐसा समन्वय बैठाया कि महागठबंधन समर्थित जदयू उम्मीदवार संजीव श्याम सिंह को शिकस्त दे दी। जीवन कुमार की जीत शाहाबाद और मगध की सामाजिक बनावट और संरचना के लिए भी बड़ा संदेश है।
उधर, सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय अफाक अहमद ने सीपीआई के पुष्कर आनंद को शिकस्त दी। इस सीट के लिए उपचुनाव हुआ था। सीपीआई के केदार पांडेय के देहांत के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ था और पार्टी ने उनके पुत्र पुष्कर आनंद को अपना उम्मीदवार बनाया था। सारण शिक्षक निर्वाचन सीट पर ब्राह्मण को एक मुसलमान ने रिप्लेस किया। गया शिक्षक और सारण शिक्षक सीट पर नये उम्मीदवार निर्वाचित हुए हैं और दोनों गैरसवर्ण हैं। इन दोनों ने सवर्णों को परास्त किया है।
विधान परिषद का सामाजिक स्वरूप काफी तेजी से बदल रहा है। सवर्णों का दखल दरकने लगा है। लेकिन यह भी संयोग है कि विधान परिषद के लिए निर्वाचित होने वाले गैरसवर्ण सदस्य अधिकतर भाजपा के ही हैं और यह स्थिति महागठबंधन को मंथन के लिए बाध्य करती है। गौरतलब है कि उपचनुाव में निर्वाचित अफाक अहमद को 10 अप्रैल या उससे पहले शपथ दिलायी जाएगी, जबकि शेष चार नवनिर्वाचित सदस्यों को 7 मई को शपथ दिलायी जाएगी। वर्तमान सदस्यों का कार्यकाल 6 मई को पूरा हो रहा है।