महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण में बना क्षेत्र है पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र। पश्चिम चंपारण के नाम से जिला भी है, लेकिन उनकी भौगोलिक सीमा से लोकसभा क्षेत्र का कोई संबंध नहीं है। पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र दो जिला पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण के तीन-तीन विधान सभा क्षेत्रों को जोड़कर बनाया गया है।
इसमें पश्चिम चंपारण के नौतन, चनपटिया और बेतिया तथा पूर्वी चंपारण के रक्सौल, नरकटिया और सुगौली विधान सभा क्षेत्र को शामिल किया गया है। इन छह सीटों में से 4 पर भाजपा और 2 पर राजद के विधायक हैं। नौतन से नारायण प्रसाद, चनपटिया से उमाकांत सिंह, बेतिया से रेणु देवी और रक्सौल से प्रमोद कुमार सिन्हा भाजपा के विधायक हैं। सुगौली से शशि भूषण सिंह और नरकटिया से डॉ शमीम अहमद राजद के विधायक हैं। शमीम अहमद राज्य सरकार में विधि मंत्री भी हैं।
इस सीट पर पिछले तीन टर्म से लगातार भाजपा के डॉ संजय जयसवाल सांसद हैं। वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अगले चुनाव में उनकी सीट पर नये दावेदारों के लिए गुंजाईश नहीं बनती है। पार्टी के अंदर कोई कदावर नेता भी नहीं हैं, जो उनकी दावेदारी को चुनौती दे सके। संजय जयसवाल को लेकर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से कोई नाराजगी जैसी बात भी नहीं है। हमने इस संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले कुछ विधायकों से भी बातचीत की। किसी ने भी अपने को लोकसभा का दावेदार नहीं बताया।
पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र
वर्ष — जीते — पार्टी — जाति — हारे — पार्टी — जाति
2009 — संजय जयसवाल — भाजपा — बनिया — प्रकाश झा — लोजपा — ब्राह्मण
2014 — संजय जयसवाल — भाजपा — बनिया — प्रकाश झा — जदयू — ब्राह्मण
2019 — संजय जयसवाल — भाजपा — बनिया — बृजेश कुशवाहा — आरएलएसपी — कोईरी
महागठबंधन की ओर से इस सीट पर राजद का दावा मजबूत बनता दिख रहा है। उसके दो विधायक भी इस संसदीय क्षेत्र के तहत आते हैं। राजद के विधि मंत्री शमीम अहमद इस सीट पर मजबूत दावेदार बताये जा रहे हैं। वे नरकटिया से दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं। पश्चिमी चंपारण जिले से स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र से निर्वाचित सौरभ कुमार कहते हैं कि लोकसभा चुनाव को लेकर कोई प्लान नहीं है। वैसे स्थानीय लोगों ने बताया कि महागठबंधन की ओर से मनोज वाजपेयी के चुनाव लड़ने की संभावना है।
पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट के ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व की बात करें तो यह इलाका भगवान बुद्ध और महर्षि वाल्मीकि से जुड़ा रहा है। चंपारण से गांधी जी का रिश्ता भी जगजाहिर है। यह क्षेत्र पहाड़, जंगल और नदी से भरा पड़ा है। सरैयामन झील की रोहू मछली काफी प्रसिद्ध रही है। माधोपुर झील भी चर्चित है। बेतिया महाराज द्वारा निर्मित मंदिर भी काफी पुराना है। बेतिया राजघराने ने यहां कई कॉलेज और अस्पताल खुलवाये थे।
पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में रिफ्यूजी कॉलोनी भी है। 1971 में बांगलादेश से आये शरणार्थियों को बसाया गया था। उन्हें आवास के साथ खेतिहर जमीन भी दी गयी थी। थरुहटों की भी बड़ी आबादी है। इन सब की भी चुनाव में बड़ी भूमिका होती है।