कांचा आइलैय्या शेपर्ड द्वारा लिखित व फारवर्ड प्रेस, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित यह नई किताब बताती है कि कैसे अपने ही वर्चस्ववाद व पाखंडपूर्ण नीतियों की वजह से हिंदुत्व रोज-ब-रोज कमजोर हो रहा है।
यह किताब बताती है कि विभिन्न गैर-सवर्ण जातियों ने मानव सभ्यता के विकास में क्या योगदान दिया और कैसे उनके योगदानों के बदले ब्राह्मण वर्ग ने उनका अपमान किया व हाशिए पर रखा।
तेलुगु-भाषी क्षेत्र के अपने अध्ययन पर आधारित कांचा आइलैय्या की यह मूल अंग्रेजी कृति ‘पोस्ट-हिन्दू इंडिया : अ डिस्कोर्स ऑन दलित-बहुजन, सोशियो-स्पिरिचुअल एंड साइंटिफिक रेवोलुशन’ के हिंदी अनुवाद का हिंदी भाषी दलित-बहुजन पाठकों के परिप्रेक्ष्य से सूक्ष्म संपादन कर इस पुस्तक को साकार बनाया गया है।
बहुसंख्यक आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक वैचारिकी पर आधारित इस किताब में हमारी कोशिश यही रही है कि अनुवाद, मूल के प्रति निष्ठ रहने के साथ-साथ अधिक ग्राह्य बन सके और पाठक उसके कथ्य को अपने आसपास की दुनिया से जोड़ सकें।