पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अदालत में मजबूती से पक्ष रखने पर जहाँ सामान्य वर्ग के गरीबों (ईडब्ल्यूएस) को 10 फीसद आरक्षण देने के मोदी सरकार के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम मुहर लगाते हुए इसके विरुध दायर याचिकाएं खारिज कर दीं, वहीं बिहार सरकार की कमजोर पैरवी के कारण जातीय जनगणना पर रोक लग गई।
श्री मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद का राष्ट्रीय जनता दल एकमात्र दल है, जिसने ऊँची जाति के गरीबों को आरक्षण देने का विरोध ही नहीं किया, बल्कि इसके विरुद्ध सदन में मतदान भी किया था। यही राजद गरीबों और “ए टू जेड की पार्टी ” की पार्टी होना का ढोंग करता है।
उन्होंने कहा कि बिहार में जातीय जनगणना कराने के लिए विधान मंडल के दोनों सदनों में भाजपा का समर्थन करना और भाजपा के सरकार में रहते ही जातीय जनगणना कराने का निर्णय होना लालू प्रसाद को बेचैन करता है।
श्री मोदी ने कहा कि भाजपा को जातीय गणना का विरोधी प्रचारित करने की बेचैनी में लालू प्रसाद सर्वे और जानवरों की गिनती में फर्क नहीं कर पाते।
उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना पर नीतीश सरकार ने पटना हाईकोर्ट में कमजोर दलीलें दीं। इस कानूनी हार की जिम्मेदारी लेने के बजाय राजद-जदयू के लोग भाजपा पर भड़ास निकालते हैं।
श्री मोदी ने कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण जातीय जनगणना पर रोक लगी , जल्दी सुनवाई की याचिका खारिज हुई और अब सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय करोल के इस केस से खुद को अलग करने के कारण सुनवाई लंबे समय के लिए टल सकती है। लालू प्रसाद बतायें कि क्या इसके लिए भाजपा जिम्मेदार है?