बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और मधुबनी के झंझारपुर से वर्तमान विधायक नीतीश मिश्रा। कांग्रेस की राजनीतिक पृष्ठभूमि में पले-बढ़े नीतीश मिश्रा ने जन कांग्रेस, एनसीपी और जदयू के रास्ते भाजपा तक का सफर तय किया है। राजनीतिक तौर पर अलग-अलग धाराओं के साथ जुड़े रहे नीतीश मिश्रा की अपनी धारणा रही है- समाज और व्यवस्था में बदलाव का सबसे बड़ा माध्यम है राजनीति।
राजनीति उन्हें विरासत में मिली थी, लेकिन जब वे खुद मजबूती से राजनीति में स्थापित हुए, तब उनका अपना संघर्ष था। 2000 में पहला चुनाव जन कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और 24500 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। नीतीश मिश्रा कहते हैं कि 2000 से 2005 तक झंझारपुर में दिन-रात लगे रहे। इसी बीच जदयू की सदस्यता ग्रहण की। 2005 के फरवरी और नवंबर चुनाव में निर्वाचित हुए। एनडीए की पहली सरकार में मंत्री भी बने। 2010 में तीसरी बार निर्वाचित हुए। इस कार्यकाल में भी फरवरी, 2015 तक मंत्री बने रहे। 2015 में पराजित होने के बाद चौथी बार 2020 निर्वाचित हुए।
राजनीति प्रयोग भी हो सकती है और प्रतिबद्धता भी। नीतीश मिश्रा ने राजनीति को प्रयोग भी माना और प्रतिबद्धता भी। वे कहते हैं कि 1998-99 में पिता डॉ जगन्नाथ मिश्रा की इच्छा का सम्मान करते हुए राजनीति में पर्दापण किया। उन्हीं के कहने पर पहली बार 2000 में जनता की अदालत में हाजिरी लगायी, लेकिन जनता ने हाजिरी अस्वीकार कर दी। इसके बाद अपने शैक्षणिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में वापस लौटना चाहते थे, पर चुनाव में जनता से मिले सपोर्ट ने उनके कदम रोक दिये और फिर वे झंझारपुर के होकर रह गये। नीतीश मिश्र कहते हैं कि 2000 के बाद निरंतर राजनीतिक कार्यकर्ता और विधायक के रूप में झंझारपुर से जुड़े रहे और राज्य के मंत्री के रूप में विकास कार्यों के प्रति समर्पित रहे। गन्ना विकास, आपदा प्रबंधन और ग्रामीण विकास विभाग समेत कई करीब दर्जन भर विभागों का प्रभार संभाला। कोसी की कुसहा त्रासदी के समय आपदा प्रबंधन मंत्री थे। विभागीय मंत्री के रूप में त्रासदी के बाद राहत और पुनर्वास के कार्यों के लिए राष्ट्रीय ख्याति मिली। इसके लिए विभाग को पुरस्कृत भी किया गया। ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री के रूप में हर जिले में जीविका की शुरुआत उनके ही कार्यकाल में हुई। मनरेगा के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही की निगरारी के लिए तकनीकी का इस्तेमाल भी उनके ही कार्यकाल में शुरू हुआ। बीडीओ की नियुक्ति के लिए ग्रामीण विकास सेवा संवर्ग की शुरुआत उनके ही कार्यकाल में हुई।
नीतीश मिश्रा ने नीदरलैंड से एमबीए, इंगलैंड से भूमंडलीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था विषय में पीजी डिप्लोमा और अमेरिकी के हावर्डकैनेडी से लीडरशिप डेवलपमेंट का प्रशिक्षण लिया। वे कहते हैं कि अपनी शैक्षणिक योग्यता और अनुभव का विकास कार्यों को आम लोगों तक पहुंचाने में मदद ली। जनता के साथ जुड़े रहने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया। सोशल मीडिया को जनसरोकार के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं। फिलहाल वे विधान सभा की शून्यकाल समिति के सभापति हैं। सभापति बनने के बाद से समिति अब तक 5 रिपोर्ट सदन में पेश कर चुकी है और अगले सत्र में भी कई रिपोर्ट पेश करने की तैयारी है।
अपनी आगे की राजनीतिक संभावना के संबंध में उनका कहना है कि विधान सभा में अपने क्षेत्र का लंबे समय तक प्रतिनिधित्व किया। जनता और सरकार की ओर से मिली जिम्मेवारी का पूरी निष्ठा से निर्वाह किया। पार्टी की ओर से मिली जिम्मेवारी का भी निर्वाह कर रहे हैं। पार्टी का जनाधार बढ़ाने और केंद्र सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाने का हर संभव प्रयास करते रहे हैं।