हरी सहनी भाजपा के विधान पार्षद हैं और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष भी हैं। पार्टी नेतृत्व ने उन्हें हाल ही में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेवारी सौंपी है। पार्टी के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं और आरएसएस से जुड़े रहे हैं। उनका मानना है कि आरएसएस कार्यकर्ता रूपी पौधा को सिंचित कर और मार्गदर्शन देकर एक मजबूत वृक्ष बनाता है। ऐसे ही कार्यकर्ताओं की श्रृंखला में खुद को एक कड़ी मानते हैं हरी सहनी। भाजपा जब सम्राट चौधरी के उत्तराधिकारी के रूप में किसी नेता की तलाश कर रही थी, तब उस दौड़ में हरी सहनी कहीं शामिल नहीं थे। लेकिन जब उनका नाम पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में तय किया, तब अचानक सुर्खियों में आ गये।
हरी सहनी एक साल पहले विधान सभा कोटे से एमएलसी बने हैं। इससे पहले वे दो टर्म भाजपा के दरभंगा जिला के अध्यक्ष रहे थे। इसके साथ उन्होंने पार्टी की कई जिम्मेवारियों का निर्वाह किया था। 2011 में वे दरभंगा जिला परिषद के अध्यक्ष चुने गये थे, लेकिन दो साल बाद उनके खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव में उन्हें अपना पद गंवाना पड़ा था। उन्होंने बताया कि वे 2015 में बहादुरपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन पराजित हो गये थे। चुनाव में हार-जीत के बीच वे लगातार पार्टी के जनाधार विस्तार के कार्य में जुटे रहे। मिथिलांचल में मल्लाह समाज के प्रभाव के कारण उनका राजनीतिक महत्व लगातार बढ़ता जा रहा था। संभवत: पार्टी ने उन्हें इन्हीं परिस्थितियों में पहले विधान पार्षद बनाया और फिर नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेवारी सौंपी।
बिहार की राजनीति में जाति सबसे बड़ा यथार्थ है। अतिपिछड़ी जातियों में मल्लाह जाति एक मजबूत और अपेक्षाकृत बड़ी आबादी वाली जाति है। नदियों के आसपास के इलाकों में इनकी सघन आबादी पायी जाती है। इससे जुड़े एक सवाल हमने पूछा कि सहनी नेताओं की भीड़ में हरी सहनी कहां खड़े हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि समय आने पर यह मछुआरा तय करेंगे, जनता तय करेगी कि मल्लाह का नेता कौन है। मछुआरों के बीच किये गये अपने कामों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि समाज में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए काफी काम किया, रात्रि पाठशाला का संचालन किया। मछुआरों के कारोबार में विस्तार और आर्थिक सहायता के लिए बैंक से लोन दिलवाने में हरसंभव मदद की। सहकारी समितियों से जोड़कर मछुआरों के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध कराने में मदद की।
विधान परिषद में अपने हस्तक्षेप की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न सत्रों के दौरान 100 से अधिक सवाल पूछे और सरकार को जनहित में काम करने के लिए बाध्य किया। हरी सहनी ने अपनी नयी जिम्मेवारी के संबंध में कहा कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में जनहित के मुद्दों को सदन और सदन के बाहर लगातार उठाते रहेंगे। पार्टी की नीति और कार्यक्रम के अनुसार जनाधार विस्तार की योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे। पार्टी नेतृत्व के निर्देशों को जनता तक पहुंचाने का काम करेंगे।