साथियों, नमस्कार। आप में से अधिकतर लोग वीरेंद्र यादव न्यूज के पहले अंक से पाठक रहे होंगे। फिर बाद में पाठक जुड़ते चले गये। जो एक बार जुड़ा, वह सदा के लिए पाठक हो गया। यही खासियत है वीरेंद्र यादव न्यूज की। वीरेंद्र यादव न्यूज अपने सौ अंकों की यात्रा अगले नवंबर महीने में पूरा कर रहा है। सौ अंकों की निर्बाध और नियमित यात्रा। ऐसा बहुत कम होता है, जब कोई पत्रिका नियमित रूप से सौ अंकों की यात्रा पूरी करती है। इसके साथ इस पत्रिका की यह भी विशेषता रही है कि प्रकाशन के दिन से ही मुफ्त बंट रही है। वैसे मुफ्त के लिए उचित शब्द नि:शुल्क है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुफ्त की ऐसी मार्केटिंग की कि अब नि:शुल्क शब्द ही हमारे व्यवहार से गायब हो गया है।
साथियों, पत्रिका की शुरुआत चंदा से हुई थी। 49 अंकों तक वह पूरी तरह चंदा पर निर्भर रही, लेकिन 50वें अंक से हमने विज्ञापन की ओर कदम बढ़ाया और धीरे-धीरे पत्रिका आत्मनिर्भर बनती गयी। लेकिन हमने पाठकों से अनुदान का विकल्प बंद नहीं किया है। हमारे बहुत सारे पाठक पत्रिका की निरंतरता के लिए आर्थिक सहयोग करते रहते हैं। हम आज भी पाठकों से कंट्रीब्यूशन की अपील करते रहते हैं, ताकि उनके साथ भावनात्मक संबंध जीवंत बना रहे।
अब हम सौवां अंक के पड़ाव पर पहुंच रहे हैं। नवंबर महीने में हम अपना सौवां अंक प्रकाशित करेंगे। संविधान दिवस यानी 26 नवंबर को इसका लोकार्पण समारोह आयोजित किया जाएगा। सौ अंकों की हमारी यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण रही है कि हमने इसके माध्यम से पत्रकारिता में नयी धारा, नयी अवधारणा और नये सरोकार की शुरुआत की थी। हमने खबरों में जाति का एक विषय और सरोकार के रूप में इस्तेमाल शुरू किया और आज जाति राजनीतिक खबरों का केंद्रीय विषय बन गयी है। यही वीरेंद्र यादव न्यूज की उपलब्धि है। यही डिजीटल मीडिया के दौर में प्रिंट की ताकत है।
और भी कई वजह है, जिस पर वीरेंद्र यादव न्यूज अह्लादित हो सकता है। इसमें सबसे बड़ी वजह है पाठकों का भरोसा। दिसंबर 2015 में शुरू हुई इस पत्रिका के साथ पाठकों और शुभेच्छुओं का सहयोग और भरोसा निरंतर बना हुआ है। पाठकों का भरोसा ही है कि हम सौवां अंक प्रकाशन के मौके पर भव्य कार्यक्रम आयोजित करने का साहस जुटा रहे हैं। इसके लिए हम अपने पाठकों का आभारी हैं। धन्यवाद।