बिहार जाति आधारित गणना 2022-23 के आलोक में पूर्व मंत्री सह झंझारपुर के विधायक नीतीश मिश्रा ने बिहार को विकास के विभिन्न सूचकांक में ऊपर उठाने एवं गरीबों को ऑटो इंकल्यूजन मोड (स्वतः मिलने वाले लाभ) में विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करने हेतु सुझाव रूपी विस्तृत कांसेप्ट नोट आज मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंपा है।
नीतीश मिश्रा ने बताया कि जाति आधारित गणना के आधार पर बिहार में 94.4 लाख परिवार गरीब हैं। इन्हें केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करते हुए इनकी गरीबी दूर करने हेतु ठोस नीतियों की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने एक डिजिटल प्लेटफार्म विकसित करने के विषय में अपने कांसेप्ट नोट में विस्तार से सुझाव दिया है। साथ ही उन्होंने भारत सरकार द्वारा कराई गई सामाजिक आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना 2011 (Socio-Economic Caste Census 2011) एवं बिहार जाति आधारित गणना 2022-23 के आंकड़ो की मैपिंग की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।
पूर्व मंत्री ने अपने सुझाव में यह भी कहा है कि ऐसे गरीब परिवार जो भारत सरकार द्वारा कराई गई सामाजिक आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना 2011 (Socio-Economic Caste Census 2011) के बाद गरीबी की श्रेणी में हैं और अबतक विभिन्न योजनाओं से वंचित हैं उन्हें प्रमुखता से केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न योजनाओं से ऑटो इंकल्यूजन मोड में लाभान्वित किया जाना आवश्यक है। इससे न सिर्फ बिहार विकास के विभिन्न मापदंड में आगे बढ़ सकेगा अपितु 94.4 लाख गरीब परिवारों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकेगा। इन प्रयासों से ग्लोबल मल्टी डाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स में भी बिहार की स्थिति बेहतर हो सकेगी जिससे बिहार विकसित राज्यों की श्रेणी में आ सकेगा।
पूर्व मंत्री ने कहा कि आज का युग आंकड़ों (डेटा) का है। बिहार जाति आधारित गणना 2022-23 से प्राप्त आंकड़ें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि बिहार जाति आधारित गणना-2022-23 में जातिवार आंकड़ो के अतिरिक्त सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक आंकड़े भी उपलब्ध हुए हैं। सरकार द्वारा नीति निर्माण में इन आंकड़ो के व्यापक इस्तेमाल से बेहतर नीतियां बनाते हुए लक्षित परिवारों तक ससमय लाभ पहुंच सकेगा।