‘प्रो. ईश्वरी प्रसाद एक आला दर्जे के अर्थशास्त्री सामाजिक न्याय आंदोलन के चिंतक और किसान आंदोलन को उसके सही परिप्रेक्ष्य में व्याख्यायित करनेवाले रिसर्च स्कॉलर थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनको जो प्रतिष्ठा देश के बाहर दी गई, बिहार में उन्हें उतना ही उपेक्षित रखा गया। उनकी पुस्तक शूद्र राजनीति का भविष्य, भारत में किसान आंदोलन और आरक्षण : समानता का एक अवसर अकादमिक जगत में मील के पत्थर हैं। उनके सम्पूर्ण लेखन को किताब के स्वरूप में लाना आज की फौरी जरूरत है।’
ये बातें स्थानीय जगजीवन राम संसदीय अध्ययन और राजनीतिक शोध संस्थान पटना सभागार में जेएनयू के पूर्व प्राध्यापक प्रो. ईश्वरी प्रसाद की शोक सभा में कही गई।
डा. लोहिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस शोकसभा में विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष गिरीश चौधरी आयोग के सदस्य डा. अशोक कुमार, उमेश विश्वास और उपेन्द्रनाथ वर्मा ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इन लोगों ने कहा कि ईश्वरी प्रसाद अपने दौर की विरल प्रतिभा थे, जिन्हें याद करना अपने समय को उसकी समग्रता में जानना है।
इस मौके पर ईश्वरी प्रसाद की पुत्री उषा प्रसाद, उनके दामाद सुभाष प्रसाद और उनके नाती पीयूष ने अपने पारिवारिक जीवन से जुड़े कई सारे अनुभव साझा किया।
इंजीनियर संतोष यादव ने कहा कि गांव की पृष्ठभूमि से लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स तक और जेएनयू से पटना तक की यात्रा में ईश्वरी बाबू में हमेशा एक ज्ञान व्याकुल व्यक्तित्व हावी रहा, जिसकी वजह से वह इतने सारे महत्वपूर्ण काम कर पाये।
शिवदयाल, महेन्द्र सुमन, गोपाल कृष्ण, उपेन्द्रनाथ वर्मा, जगनारायण सिंह यादव, कुमार मुकुल अनिल ठाकुर, राजवीर पंवार, अशोक यादव,संजीव चंदन,सुनील कुमार, अनंत सिन्हा, राजेश ठाकुर, नीरज कुमार डा. विनोद पाल अरुण नारायण, उमेश रजक, मीरा यादव और सौरभ कुमार ने ईश्वरी बाबू से जुड़े अपने अनुभव साझा किया। कार्यक्रम का संचालन डा. लोहिया फाउंडेशन के संयोजक संतोष यादव ने किया।