सत्ता के मंडप में सुहागन बनने का सौभाग्य नीतीश कुमार को नौंवी बार मिला है। राजभवन में मंडपम नामक सभागार में ही सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होता है। उस मंडप में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के रूप में नौंवी बार शपथ ली। यह भारत के राजनीति इतिहास में विश्व रिकार्ड है कि 18 साल में नौ बार सरकार बनी या बदली। इसमें आठ बार अकेले नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। एक बार जीतनराम मांझी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। नीतीश कुमार का पहला शपथ ग्रहण 2000 में हुआ था और 7 दिनों में विदाई हो गयी थी।
इस बार का शपथ अन्य शपथ ग्रहणों से अलग था। इस बार कुुुुर्मी सरकार को दहेज में कोईरी और भूमिहार मिले हैं। ये पिछले डेढ साल से नीतीश सरकार को उखाड़ने का डंका बजा रहे थे और अब उनके ही चरणों में पगड़ी धर दी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के एक इशारे पर गर्दन मरोड़ने वाले हाथ चरण पखारने में जुट गये है। मुख्यमंत्री के साथ सम्राट चौधरी एवं विजय कुमार सिन्हा ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। इन दोनों को पहले धिक्कारने का जिम्मा सौंपा गया था, अब यशोगान का दायित्व मिल गया है। उपमुख्यमंत्री के रूप में भाजपा ने कोईरी और भूमिहार को सीएम का सहयोगी बनाकर उनकी राह आसान की है या मुश्किल, यह अमित शाह और नीतीश कुमार के संधि पत्र से ही पता चलेगा।
फिलहाल इतना तय हो गया है कि भाजपा ने दूध की रखवाली का जिम्मा बिल्ली को सौंपा है। ये लोग बनिया या नोनिया की तरह नीतीश कुमार की जी-हुजूरी लंबे समय तक नहीं कर पाएंगे। जीतन राम मांझी जैसे लोग जब तीन महीने बाद नीतीश कुमार को ललकारने लगे थे, तो दबंग जातियां कोईरी और भूमिहार कितने दिन झेलेंगे। नीतीश कुमार की नौंवी पारी बहुत भारी पड़ने वाली है। जो भाजपा 2025 में अकेले विधान सभा चुनाव जीतने की रणनीति के लिए दिन-रात काम कर रही है, वह नीतीश कुमार को कितने दिन ढोएगी।
भाजपा की बेचैनी लोकसभा चुनाव में अधिकाधिक सीट जीतने की है। वह लोकसभा चुनाव में जीत के लिए नीतीश के साथ समझौता कर सामाजिक और जातीय समीकरण साधने की तैयारी कर ली है। इसका लाभ चुनाव में भाजपा को मिल भी सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी तीसरी ताजपोशी होती है तो फिर नीतीश सरकार का इलाज क्या होगा, इसका इंतजार करना चाहिए।
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