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मस्‍त रहा तीन घंटे के विश्‍वास का शो, लेकिन मन लज्‍जा गया

पहली बार अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर गयी स्‍पीकर की कुर्सी

Birendra Yadav by Birendra Yadav
February 12, 2024
in बिहार, राजनीति
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मस्‍त रहा तीन घंटे के विश्‍वास का शो, लेकिन मन लज्‍जा गया
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12 फरवरी का दिन बिहार के राजनीतिक इतिहास में दर्ज हो गया। इस दिन का तीन घंटा मसाला सिनेमा के तीन घंटों से ज्‍यादा आनंद दायक रहा। 12 बजकर 35 मिनट से 3 बजकर 35 मिनट तक का समय। दो-दो बार वोटिंग की नौबत आयी। दोनों ही वोटिंग में सरकार बहुमत में रही, लेकिन बहुमत का आंकड़ा विश्‍वास मत से ज्‍यादा अविश्‍वसनीय रहा। स्‍पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ लाये गये अविश्‍वास प्रस्‍ताव के पक्ष में सत्‍ता पक्ष के साथ 125 विधायकों का समर्थन हासिल था, जबकि सरकार के विश्‍वास मत के पक्ष में 129 सदस्‍यों का समर्थन हासिल था। लगभग दो घंटे के अंतराल में हुई वोटिंग में चार वोटों का इजाफा हो गया। वाकई सत्‍ता का सामर्थ्‍य इसे ही कहते हैं।
स्‍पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ लाया गया अविश्‍वास प्रस्‍ताव लगभग 1 घंटे में निपट गया। बिहार के लगभग 75 वर्षों के ससंदीय इतिहास में पहली बार किसी स्‍पीकर को अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर हुई वोटिंग के आधार पर अपने पद से हटाया गया है। अविश्‍वास प्रस्‍ताव के पक्ष में 125 विधायकों ने, जबकि विपक्ष में 112 विधायकों ने वोटिंग की। इस तरह 13 वोटों के अंतर से अविश्‍वास प्रस्‍ताव पारित हुआ। इससे पहले 1960 में स्‍पीकर विंध्‍येश्‍वरी प्रसाद वर्मा के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा हुई थी और सदन ने उसे खारिज कर दिया था। तीन अन्‍य स्‍पीकरों के खिलाफ अविश्‍वास की नोटिस की सांस प्रक्रिया में ही थम गयी थी।
मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पेश विश्‍वास मत के प्रस्‍ताव पर लगभग 2 घंटों तक बहस चली। अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर बहस की शुरुआत करते हुए तेजस्‍वी यादव ने लगभग 40 मिनट तक सरकार के खिलाफ प्रहार किया। उन्‍होंने अपने भाषण में नौकरियों का श्रेय लेते हुए कहा कि महागठबंधन की सरकार में नौकरियों की बहार उनकी वजह से आयी थी और इसका श्रेय भी लेंगे। तेजस्‍वी यादव का पूरा भाषण काफी संतुलित, आक्रामक और तथ्‍यपूर्ण रहा। तेजस्‍वी की भाव-भंगिमा के साथ प्रहार के तेवर में काफी तालमेल दिख रहा था। शैली और शब्‍द भी सधे हुए थे। उन्‍होंने कहा कि नीतीश कुमार उनके लिए दशरथ के समान हैं, जिन्‍होंने वनवास दिया है, ताकि जनता के साथ संपर्क बना सकें, उनकी समस्‍याओं से अवगत हो सकें। इसके साथ ही अगल-बगल में बैठै कैकेयी से सावधान रहने की सलाह भी थमा दी। कई अन्‍य वक्‍ताओं ने भी अपनी बात रखी, लेकिन सब बेदम था। उपमुख्‍यमंत्री (2) विजय कुमार सिन्‍हा की बातों में तथ्‍य कम और गलथेथरी ज्‍यादा थी, जबकि उपमुख्‍यमंत्री (1) सम्राट चौधरी भी तेजस्‍वी यादव पर आरोप लगाने से ज्‍यादा कुछ नहीं बोल पाये।
विश्‍वास मत पर मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार का संबोधन विश्‍वास पैदा करने वाला नहीं था। मुख्‍यमंत्री की जनसभा, उद्घाटन समारोह और विश्‍वास मत के दौरान दिये गये भाषण में भेद करना मुश्किल हो गया है। 2005 के पहले और बाद के मुद्दे पर उनका कैसेट अटक जाता है और फिर ‘आप सब जानते ही हैं, कितना काम हो रहा है’ में फीता उलझ जाता है। उन्‍होंने एक नयी बात जरूर कही कि राजद वाले कमाने लगे थे। साथ ही राजद पर शिक्षा विभाग छीनने का आरोप भी लगाया। लेकिन मुख्‍यमंत्री यह नहीं समझा पाये कि उन्‍होंने जिस भाजपा के साथ सरकार बनायी है, उसके साथ आने का औचित्‍य क्‍या है और इससे बिहार को क्‍या फायदा होगा। उधर मुख्‍यमंत्री के भाषण का विपक्ष ने बहिष्‍कार किया और वाकआउट कर गये।
बिना विपक्ष के सदन में मतदान हुआ और विश्‍वास मत के पक्ष में 129 मत पड़े। हड़बड़ी या कहें कि बहुमत का आतंक इतना सिर चढ़कर बोल रहा था कि आसन के वोट को भी सरकार के पक्ष में गिन लिया गया। जबकि आसन मत विभाजन में हिस्‍सा नहीं लेता है।
विश्‍वास मत के दौरान कई रोचक तथ्‍य भी सामने आये। एक ही कार्यकाल में मुख्‍यमंत्री को तीन बार विश्‍वास मत हासिल करने के लिए सदन का सामना करना पड़ा। विधान सभा के एक ही कार्यकाल में तीसरा अध्‍यक्ष मिलने की संभावना प्रबल हो गयी है। दो अध्‍यक्षों की विदाई हो चुकी है। इतना ही नहीं, शो में तीन-तीन भूतपूर्व उपमुख्‍यमंत्री भी मौजूद थे। तीन का फेर रहा कि राजद के तीन विधायक पाला बदलकर भाजपा के खेमे में चले गये।
पिछले एक पखवारे के राजनीतिक कयासों का पटाक्षेप विश्‍वास मत पर मतदान के साथ हो गया। विधान सभा में तीन घंटे का शो काफी मस्‍त और आनंदायक रहा। लेकिन सत्‍ता का राजनीतिक प्रहसन, जीत का रावणी अट्ठहास और विधायकों को ‘गदहा’ बना देने के अभियान से मन लज्‍जा गया।
(तस्‍वीर राज्‍यपाल के अभिभाषण के दौरान की है।)

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