पटना, २१ फरवरी । सुप्रसिद्ध समालोचक और भूपेन्द्र नारायण मण्डल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो अमरनाथ सिन्हा का अस्थि-कलश बुधवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में अंतिम-दर्शनार्थ रखा गया। सम्मेलन में उनकी स्मृति में एक विशाल श्रद्धांजलि-सभा भी आयोजित हुई, जिसमें विद्वानों ने उन्हें अद्भुत प्रतिभा का समालोचक, निष्ठावान साहित्य-सेवी और प्रखर शिक्षाविद बताया।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि प्रोफ़ेसर सिन्हा से उनका ५० वर्षों से अधिक का संबंध रहा। जय प्रकाश आंदोलन में उनकी प्रमुख भूमिका थी। जिस काल में कोई भी व्यक्ति मुँह खोलने का साहस नहीं करता था, अमर बाबू खुल कर सामने आए और आंदोलन को वैचारिक दिशा दी। साहित्य सम्मेलन ने उनकी स्मृति में सभा का आयोजन कर पुण्य का कार्य किया है। सम्मेलन से उनका गहरा संबंध था। साहित्य सम्मेलन स्वतंत्रता-आंदोलन में ही नहीं, जय प्रकाश आंदोलन में भी केंद्र में था।
पूर्व सांसद और वरिष्ठ पत्रकार डा रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने कहा कि अमर बाबू एक युग का निर्माण करने वाले महान व्यक्तित्व थे। विचारों पर उनकी दृढ़ता अद्भुत थी। जिसे उचित समझते थे, उसके लिए डट कर खड़े रहते थे। वे सदा अपने विचारों पर अडिग रहे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर एक ग्रंथ का प्रकाशन किया जाना चाहिए।
श्रद्धांजलि-सभा की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि साहित्य ही नहीं अन्य विषयों पर टिप्पणी के प्रति अमर बाबू की सावधानी और प्रतिबद्धता अनुकरणीय है। वे विषय पर तैयारी की विना न तो एक शब्द लिखते थे और न बोलते थे। यही निष्ठा उनके जीवन के हर क्षेत्र में थी। वे साहित्य और शिक्षा के साधु-पुरुष थे। डा सुलभ ने घोषणा की कि इसी वर्ष से प्रो सिन्हा के नाम से स्मृति-सम्मान आरंभ किया जाएगा, जो साहित्यालोचन के क्षेत्र में मूल्यवान-कार्यों के लिए प्रदान किया जाएगा।
पद्मश्री विमल कुमार जैन ने कहा कि प्रो अमरनाथ सिन्हा से हमलोगों ने हिन्दी सीखी और व्याख्यान सीखा। वे हमारे अभिभावक रहे। उन्होंने कभी अपने विचारों पर समझौता नही किया।
दर्शन-शास्त्र के प्राध्यापक रहे प्रो रमेश चंद्र सिन्हा ने कहा कि वर्ष १९७० से अमर बाबू के साथ कार्य करने का सौभाग्य मिला। वे एक प्रेरक और ओजस्वी व्यक्तित्व के धनी थे। वाणिज्य महा विद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने कहा कि अमर बाबू की वाणी में जादू था। उनके व्यक्तित्व में भारतीयता थी।
प्रो अमरनाथ सिन्हा के पुत्र शशिर राजन, प्रो सुधा सिन्हा, डा अर्चना त्रिपाठी, पारिजात सौरभ, अभिजीत कश्यप, श्याम बिहारी प्रभाकर, रौशन कुमार, ई अशोक कुमार तथा कृष्ण रंजन सिंह ने अपने उद्गार व्यक्त किए। मंच का संचालन सम्मेलन के प्रचार मंत्री और वरिष्ठ पत्रकार डा ध्रुव कुमार ने किया।
शोक-सभा में, स्वर्गीय सिन्हा की पौत्री शिवांगी सिन्हा, पौत्र अचित नारायण, अमन सिन्हा, शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, रत्ना सिन्हा, कुमार रोहित, शैलेंद्र कुमार सिन्हा, सुधीर कुमार, ज़मील अहमद, प्रिय रंजन कुमार, नन्दन कुमार मीत, स्मृति , के बी गांधी, डा चंद्रशेखर आज़ाद, नीतीश कुमार,कल्याण सिन्हा आदि बड़ी संख्या में सुधीजन उपस्थित थे। सभा के अंत में दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की गयी। इसके पश्चात प्रो सिन्हा की अस्थियों का विसर्जन गंगा नदी में किया गया।