नवगठित पार्टी जन संवाद पार्टी एक मात्र सीट काराकाट से अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी। इस सीट से पत्रकार वीरेंद्र यादव के उम्मीदवार बनने की संभावना है। नामांकन 9 मई को सासाराम में होगा। लेकिन चुनाव अभियान की शुरुआत हो चुकी है।
वीरेंद्र यादव का कहना है कि लोग वोटरों के बीच पैसा बांटकर चुनाव लड़ते हैं, लेकिन जन संवाद पार्टी जनता से आर्थिक सहयोग लेकर चुनाव लड़ेगी। जितना आर्थिक मदद जनता से मिलेगी, उतना ही खर्च किया जाएगा। वीरेंद्र यादव ने अपना मोबाइल नंबर 9199910924 सार्वजनिक करते हुए कहा है कि इस नंबर पर फोन पे और वाट्सएप भी। आर्थिक मदद देने वाले लोग फोनपे पर सहयोग राशि भेज सकते हैं, जबकि जिन लोगों को हम से असहमति होगी, वे वाट्सएप पर गाली भी भेज सकते हैं। हम गाली को भी सहयोग समझ कर सहेज कर रखेंगे। उन्होंने कहा कि लोगों से चंदा लेने के लिए रसीद भी बनवा ली है, जिस के माध्यम से नकद राशि चंदा के रूप में स्वीकार की जाएगी।
वीरेंद्र यादव ने कहा कि पार्टी तीन मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ रही है। पहला मुद्दा है कि यादव एक सक्षम और स्वाभिमानी जाति है। इसलिए यादव जाति को पिछड़ा वर्ग के दायरे से निकालकर सामान्य श्रेणी में रखा जाए। यादवों को अब आरक्षण की जरूरत नहीं है।
दूसरा मुद्दा है कि ईवीएम से नोटा का विकल्प समाप्त किया जाए। यह लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है। लोकतांत्रिक प्रकिया में मतदान चुनाव के लिए होता है। मनपसंद के उम्मीदवार को चुनने की आजादी होती है। नोटा का विकल्प जनभावना को बांझ बनाने की साजिश है।
तीसरा मुद्दा है कि मतदान के दौरान बूथों पर पार्टियों की ओर से पोलिंग एजेंट की नियुक्ति की व्यवस्था खत्म की जाए। यह उम्मीदवारों पर अनावश्यक बोझ है और साधनहीन उम्मीदवारों के खिलाफ है। पोलिंग एजेंट की व्यवस्था तब की गयी थी, जब वोटरों की पहचान का जिम्मा ही पोलिंग एजेंट पर था। अब पोलिंग एजेंट के जिम्मे वोटरों की पहचान का काम खत्म हो गया है। अब वोटरों की पहचान के लिए कागजी साक्ष्य की जरूरत हो गयी है। इसके लिए चुनाव आयोग ने खुद साक्ष्यों का निर्धारण किया है। पोलिंग एजेंट अब बूथ पर बेमतलब की भीड़ बन गये हैं। हर उम्मीदवार को मतदान के लिए करोड़ों रुपये सिर्फ पोलिंग एजेंट पर खर्च करना पड़ता है। इसलिए इस सिस्टम को समाप्त किया जाना चाहिए।
वीरेंद्र यादव ने बताया कि इन्हीं तीन मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे। जनता के बीच इन्हीं मुद्दों को उठाएंगे। जन संवाद पार्टी नवगठित पार्टी है और साधनविहीन पार्टी है। इसे आप कटोरा छाप भी कह सकते हैं। कटोरा के सहारे भाजपा और राजद जैसी अरबों की संपत्ति वाली पार्टी और उनके उम्मीदवारों को परास्त करना बड़ी चुनौती है। हमारा मानना है कि पैसे का मुकाबला पैसों से नहीं हो सकता है। लूटी गयी पूंजी से मुकाबला भीख मांगे गये पैसे ही संभव है। इस चुनाव में काराकाट इस बात का गवाह बनेगा कि चुनावी बांड और जमीन के धंधे से अर्जित संपत्ति भीख से संकलित राशि के सामने बौना साबित होगी।