बहुजन समाज पार्टी के केंद्रीय प्रदेश प्रभारी अनिल कुमार ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति में डबल इंजन की सरकार पर दलित, महादलित, पिछड़े और आदिवासी वर्ग की घोर उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के आगमन की खुशी में मनुवादी मानसिकता से प्रेरित सरकार ने बाबा साहब के संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए फरवरी 2024 में दलित-पिछड़े समाज के हित में बने सभी आयोगों को भंग कर दिया, और इसके स्थान पर पंखा आयोग (सवर्ण आयोग) का गठन किया, जो एक सीधा सामाजिक न्याय पर हमला है।
अनिल कुमार ने तीखा सवाल उठाया कि आखिर क्यों दलित, महादलित, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोग ऐसे नेताओं का साथ दें, जो सरकार में होने के बावजूद चुप हैं। उन्होंने बिहार के दलित-हितैषी कहे जाने वाले नेताओं – जीतन राम मांझी, चिराग पासवान, जनक चमारशीला मंडल और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी – को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि क्या वे केवल पद के लिए सत्ता में हैं या समाज की भी कोई जवाबदेही निभा रहे हैं। उन्होंने तंज करते हुए इन नेताओं को मिठाइयां भी भेजी।
उन्होंने कहा कि जब देश में अब भी 80 करोड़ लोग मुफ्त राशन पर निर्भर हैं, तो कैसे कहा जा सकता है कि दलित, महादलित और पिछड़े वर्ग आत्मनिर्भर हो गए हैं? आयोगों के भंग होने के बाद आज इस समाज की कोई सुनवाई नहीं हो रही है, जिससे गोपालगंज से औरंगाबाद तक दलितों पर अत्याचार के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन न्याय दूर की बात है, कोई सुध लेने वाला नहीं।
BSP नेता ने कहा कि बाबा साहब के संविधान से ही सत्ता में पहुँचे ये नेता आज उसी संविधान की हत्या में चुपचाप भागीदार बने बैठे हैं। यह न सिर्फ गद्दारी है बल्कि समाज के साथ खुला विश्वासघात भी है।
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख बहन मायावती का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हर BSP कार्यकर्ता और नेता अपने समाज को संगठित कर मैदान में उतरे और अपनी हक की लड़ाई लड़े। उन्होंने कहा, “हम बहन जी के सिपाही हैं और हर मंच से इस शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाते रहेंगे।” अनिल कुमार ने अंत में चेताया कि आने वाले चुनाव में उपेक्षित समाज ही निर्णायक भूमिका निभाएगा और जो नेता सत्ता के लिए चुप हैं, उन्हें समाज कभी माफ नहीं करेगा।