कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सलमान हैदर ने अपने वक्तव्य में बताया कि किस प्रकार प्लास्टिक का दुष्प्रभाव पशुओं, विशेषकर गायों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि प्लास्टिक अपशिष्ट शहरी बाढ़ जैसी समस्याओं का एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है। उन्होंने कहा, “संकट गहरा है, लेकिन समाधान सरल है — हमें अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा।”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीबीसी, पटना के उपनिदेशक संजय कुमार ने प्लास्टिक के इतिहास से लेकर वर्तमान स्थिति तक की एक तथ्यपरक और व्यापक प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार प्लास्टिक, जो कभी आधुनिकता की पहचान था, आज पारिस्थितिकीय संतुलन, जैव विविधता एवं मानव स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है। उन्होंने प्लास्टिक के सामाजिक, पर्यावरणीय एवं जैविक दुष्प्रभावों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया तथा दक्षिण कोरिया जैसे देशों के प्रभावी उपायों की जानकारी दी, जहाँ कानून, जनसहभागिता और तकनीकी नवाचार के माध्यम से प्लास्टिक अपशिष्ट का सफल नियंत्रण किया गया है।
परिचर्चा में पीआईबी, पटना के सहायक निदेशक कुमार सौरभ ने व्यवहार परिवर्तन और वैश्विक प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), UNFCCC और COP-15 (पेरिस संधि) जैसे वैश्विक मंचों की पहलों का उल्लेख करते हुए “पॉसिबिलिज़्म” की अवधारणा पर ज़ोर दिया — कि किस प्रकार मानवीय क्रियाएं पर्यावरणीय स्थितियों को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए दूरदर्शन न्यूज़, पटना के न्यूज़ एडिटर जावेद अख्तर अंसारी ने स्थानीय समाधानों और जनभागीदारी की महत्ता पर बल देते हुए अनुकूल विकल्प को व्यवहार में लाने का अपील किया।
कार्यक्रम का संचालन विभाग के अमरेन्द्र कुमार और धन्यवाद ज्ञापन प्रकाश कुमार सिंह द्वारा किया गया। मौके पर विभाग के सभी अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहें साथ ही साथ सीबीसी, बिहार क्षेत्र के क्षेत्रीय कार्यालयों के सभी अधिकारी और कर्मचारी ऑनलाईन माध्यम से परिचर्चा में लिए।