कबीरपंथी आश्रम, कबीर साई मन्दिर मीठापुर में सद्गुरु कबीर के 627वें प्राकट्योत्सव पर आयोजित दश दिवसीय सद्गुरु कबीर सत्संग समारोह एवं योग ध्यान शिविर में आज प्रातःकाल 6 बजे से योग ध्यान शिविर योग विशेषज्ञ श्री हृदय नारायण झा के मार्गदर्शन में आरंभ हुआ और 7 बजे तक योग अभ्यास कराया गया। इस अवसर पर शिविर का उद्घाटन – करते हुए आश्रम के महंथ ब्रजेश मुनि ने कहा यह योग ध्यान शिविर अद्वितीय इसलिए है क्योंकि यह योग की मौलिक परंपरा पर आधारित है। इस शिविर में नौ दिनों तक अभ्यास करके कोई भी अपने स्वास्थ्य रक्षा के लिए योग अभ्यास सीख सकता है। किसी भी रोग से ग्रसित रोगी नौ दिनों के अभ्यास से ही योग द्वारा रोग मुक्ति का रहस्य जान सकते हैं।

योग विशेषज्ञ ने त्रिशिखउपनिषद् की उक्ति व्यक्त करते हुए कहा – आसनेन रूजं हन्ति प्राणायामेन पातकं । विकारं मानसंयोगी प्रत्याहारेण मुचति ।। अर्थात् आसन से रोग मुक्ति होती है और प्राणायाम से पापबोध मिट जाते हैं काम, कोध लोभ मोह आदि मानसिक विकार प्रत्याहार के अभ्यास से मुक्त हो जाते हैं। इसीलिए विश्वास करके योग अभ्यास का आश्रय लेना चाहिए। उन्होंने सभी रोगियों के लिए समान रूप से उपयोगी एवं स्वास्थ्य रक्षा के लिए उपयुक्त योग अभ्यास बताते हुए ऊँ का अभ्यास सहित सुखासन एवं पद्मासन में रेचक, पूरक, नाड़ी शोधन प्राणायाम, अग्निसार किया, उड्डीयान बन्ध-मूलबन्ध-जालंधर बन्ध, योगमुद्रा आसन, कन्धरासन, ताड़ासन, मेरूवकासन, त्रिकोणासन और आत्मध्यान का अभ्यास कराया।

प्रथम दिन 15 प्रतिभागियों ने किया योग अभ्यास इनमें अधिकांश किसी न किसी रोग से पीड़ित हैं।
योग अभ्यास में महंथ ब्रजेश मुनि, संत अशोक दास हंस, कबीर साई मन्दिर के मुख्य पुजारी करसन बाबा सहित शिविर में उपस्थित महिलाओं एवं अन्य जिज्ञासुओं ने अभ्यास सीखा और किया।