पूर्व स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर कहा कि जेड-प्लस सुरक्षा के बावजूद उन्हें किस बात का डर है। इसके अलावे जम्मू एवं कश्मीर में उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराया गया है, लेकिन सुर्खियां बटोरने के लिए वे केंद्र सरकार पर मिथ्या आरोप मढ़ रहे हैं।
भारत जोड़ो यात्रा के नाम पर राहुल गांधी देशवासियों को तरह-तरह की बातें कर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पहले से एकजुट भारत की जनता उनकी बातों का नोटिस नहीं लेती है। झूठ की खेती करना कांग्रेस की परंपरा रही है। झूठ बोल लोगों की सहानुभूति बटोरने वाले कांग्रेस के युवराज यह क्यों नहीं बताते कि उनकी सरकार की तुलना में आज जम्मू एवं कश्मीर में शांति ही नहीं बल्कि जनता का राज है और वहां विकास की नई गाथा लिखी जा रही है।
श्री पांडेय ने कहा कि कन्या कुमारी से दिल्ली आने तक डर नहीं लग रहा था। अब जब जम्मू एवं कश्मीर की यात्रा पर हैं, तो उन्हें डर लग रहा है और केंद्र सरकार और स्थानीय पुलिस पर आरोप लगा यात्रा स्थगित करने की बात कर रहे हैं। जबकि उनकी सुरक्षा में वहां कुल 25 कंपनियां तैनात थी। बावजूद राहुल गांधी को सुरक्षा में चूक नजर आ रही थी। उन्हें मालूम होना चाहिए कि ऐसी यात्रा में जुड़ने वाले लोगों की संख्या की जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को पहले देनी पड़ती है, जबकि इसकी जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को उपलब्ध नहीं करायी गई थी। यही नहीं कश्मीर के बनिहाल से बमुश्किल एक किलोमीटर चलने के बाद भी उन्होंने अपनी यात्रा रोकने की सूचना सुरक्षा एजेंसियों को नहीं दी। जबकि यात्रा रोकने की जानकारी सबसे पहले सुरक्षा एजेंसियों को देनी चाहिए थी।
श्री पांडेय ने कहा कि राहुल गांधी भले ही भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि वे सियासी यात्रा कर लोगों को केंद्र सरकार और भाजपा के नाम पर भड़काने का काम कर रहे हैं। दरअसल कांग्रेस के पास न तो कोई मुद्दा और न ही कोई विजन है। कांग्रेस नेता लोगों को बेवजह डर दिखा सियासी रोटी सेंकने का काम कर रहे हैं। उन्हें मालूम होना चाहिए कि अब उनके शासनकाल वाला जम्मू एवं कश्मीर नहीं है। आज वहां अमन-चैन एवं विकास का बोलबाला है। कश्मीरियों को उनका हक मिल रहा है और भटके हुए युवाओं को मुख्य धारा में लाया जा रहा है। इसलिए अच्छा रहेगा कि राहुल गांधी सुरक्षित होकर अपनी यात्रा करें और अपने कार्यक्रम की पुख्ता जानकारी समय-समय पर सुरक्षा एजेंसियों को दें, न कि अपनी नाकामी का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ें।