नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि बिहार के साढ़े तीन से चार लाख शिक्षक अभ्यर्थी वर्षों से सड़कों पर मारे-मारे फिर रहे हैं और सरकार उन्हें झांसा पर झांसा दे रही है। ये लाखों शिक्षक अभ्यर्थी अपने आंसू के एक-एक बूंद का हिसाब महागठबंधन की ठग सरकार से आगामी चुनाव में लेंगे।
उन्होंने कहा कि बिहार के शिक्षामंत्री चन्द्रशेखर अक्षम व नाकाबिल है। शिक्षा विभाग की बदहाली बढ़ती जा रही है, न परीक्षा समय पर हो रही है और न परीक्षाफल का प्रकाशन समय पर किया जा रहा है। हर प्रतियोगी परीक्षा में सरकार और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से पर्चा लीक करवा कर बिहार की युवा प्रतिभाओं का अपमान किया जा रहा है।
श्री सिन्हा ने कहा कि शिक्षक बहाली में अकूत उगाही व कमाई के लिए ही एनडीए सरकार के दौरान बनी बहाली की नियमावली को बदलने का महागठबंन सरकार नाटक कर रही है। सरकार का मकसद इसके जरिए भाई-भतीजावाद करना और बिहार के लाखों एसटीइटी उत्तीर्ण छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना है। सरकार अपने लोगों को चोर दरवाजे से नौकरी देने के इरादे से बहली को विलम्बित और टाल रही है।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन दिनों से शिक्षा मंत्री नियमावली को कैबिनेट से स्वीकृत होने की हवाबाजी कर रहे थे और आज जब कैबिनेट की बैठक हुई तो उनकी प्राथमिकता महागठबंधन की पूर्णियां में आयोजित रैली हो गई और वे कैबिनेट से अनुपस्थित हो गए। मुख्यमंत्री की मंशा भी ठीक नहीं है। वे भी नहीं चाहते हैं कि शिक्षकों की बहाली हो। जब अभ्यर्थी अपनी वाजिब मांग को लेकर सड़कों पर उतरते हैं तो उन्हें डंडे से पीट कर खदेड़ दिया जाता हे। अपनी पूरी समाधान यात्रा के दौरान नीतीश कुमार को किसी शिक्षक अभ्यर्थी से मिलने का एक दिन भी फुर्सत नहीं मिला।
उपमुख्मंत्री तेजस्वी यादव जब विपक्ष में थे पूर्व से नियुक्त संविदा शिक्षकों को नियमित वेतनमान देने का वादा करते नहीं थकते थे। अब सरकार में हैं। अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख सरकारी नौकरियां देने के उनके वायदे का क्या हुआ? अब एक बार भी संविदा शिक्षकों को नियमित करने और वेतनमान देने की बातें क्यों नहीं कर रहे हैं?