बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि सरकार की पहल पर कार्यमंत्रणा की बैठक कर गृह विभाग की माँग संख्या 22 को विलोपित कर दिया जाना असंवैधानिक एवं तेजस्वी के समझ नतमस्तक हो जाने का प्रतीक है।
श्री सिन्हा ने कहा कि सभाध्यक्ष के कक्ष में आज कार्यमंत्रणा समिति के गृह विभाग के विलोपन के प्रस्ताव पर उन्होंने भारी विरोध किया। परंतु सरकार एवं सत्तापक्ष के सदस्यों ने उनकी एक नहीं सुनी।
श्री सिन्हा ने कहा कि गृह विभाग की अनुदान माँग पर चर्चा से मुख्यमंत्री डर गये। इस चर्चा में मंत्री इजरायल मंसूरी, सीबीआई, ईडी, हत्या, अपहरण, रंगदारी, लूट, बलात्कार एवं बैक डकैती का मुद्दा उठाया जाना था। इसे रोकने के लिये सरकार ने सुनियोजित ढंग से यह षडयंत्र किया।
श्री सिन्हा ने कहा कि कुल11 अनुदान की माँग पर सदन में चर्चा की व्यवस्था राज्यपाल द्वारा जारी समन में था । लेकिन 7 और 10 मार्च को कुल दो अनुदान की माँगों पर पटले ही स्थगित कर दिया गया। आज तीसरे मांग पर स्थगन आया। इस प्रकार कुल मांग 11 में से 3 मांग को विलोपित करना 25 % से ज्यादा मांगों को प्रभावित कर दिया है। अब बाढ़ आने के नाम पर गृह के बदले जल संसाधन विभाग को उसके स्थान पर रख दिया गया है।
श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार ने बजट सत्र की धज्जियाँ उड़ा दी है। यह कार्रवाई दर्शाता है कि सरकार कानून व्यवस्था के मुद्दे पर कितनी डरी हुई है। शासन के लोग ही अपराध और संगीन मामलों को बढ़ावा दे रहे हैं। पूर्वक यह है कि किसी दिन अगर सत्र स्थगित होता है तो उसे अगले खाली दिन या छुट्टी के दिन व्यवस्थापन किया जाता था।
श्री सिन्हा ने की राज्य की जनता देख रही है कि सरकार किस प्रकार अपराधियों और भ्रष्टाचारियों की गिरफ्त में आ गई है। उचित समय आने पर जनता इन्हें मुँह तोड़ जबाब देगी।
श्री सिन्हा ने कहा कि कार्यमंत्रणा की बैठक की संसूचना विरोधी दल के द्वारा सदन में देने की परंपरा रही है। लेकिन अध्यक्ष ने सत्तापक्ष के द्वारा प्रस्ताव पढ़वाया।
श्री सिन्हा ने कहा कि भाजपा सरकार के गुंडाराज भ्रष्टाचार एवं तानाशाही का सदन से सड़क तक मुकाबला कर रही है और आगे भी करती रहेगी।