बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने पूर्णिया जिले के वायसी प्रखंड में तीन महीने में दो निर्माणाधीन पुल के गिरने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकारी कार्यों में लूट खसोट और भरस्टाचार का यह ज्वलंत उदाहरण है।
श्री सिन्हा ने कहा कि राज्य में बन चुके नदी पुल और सड़क पुल ढहने की घटना भी वार वार हो रही है।कुछ माह पूर्व बेगूसराय जिला में भी पुल गिर गया था।कुछ वर्ष पूर्व चूहा ने भागलपुर में नदी के बाँध में छेद कर दिया था जिसके कारण नहर से रिसाब होने लगा था।गोपालगंज जिला में पिछले वर्ष नदी पर बना पुल झूलते हुए गिर गया था।इतना सब होने के बाबजूद न तो इन घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकी है न ही किसी अधिकारी पर कार्रवाई की गई है।पूर्णिया की घटना में कार्यपालक अभियंता का बयान आया है कि सम्बेदक़ की लापरवाही की जाँच की जा रही है।जब प्राबधान है कि चल रहे कार्य में अभियंता का निरीक्षण और निगरानी सतत जारी रहेगी तो फिर गुणबत्ता में गिरावट पर कार्य रोका क्यों नहीं गया?वरीय पदाधिकारी द्वारा कभी भी औचक निरीक्षण नहीं किया जाता है।
श्री सिन्हा ने कहा कि भारी कमिशनखोरी के कारण राज्य में कार्यों की गुणबत्ता प्रभावित हो गई है।प्राकलन का 50 प्रतिशत राशि भी बास्तविक कार्य के लिए ख़र्च नहीं हो पाता है।बाँकी राशि का सम्बेदक़ और सरकारी कर्मी बंदरबांट कर लेते हैं।राज्य में निर्माण कार्यों में भरस्टाचार को उजागर करने के लिए हजारों आर टी आई आबेदन बिभिन्न विभागों के पास लम्बित हैं और उसका जबाब नहीं दिया जा रहा है।मुख्यमंत्री बन रहे पथ, पुल का निरीक्षण करते हैं लेकिन गिरने के बाद एक बार भी देखने नहीं जाते हैं।विधानसभा में भी बेगूसराय पुल गिरने का मुद्दा उठाया गया था।बिडंबना है कि भ्रष्टाचार मामलों में यदि कभी कभार जाँच भी की जाती है तो उस रिपोर्ट को सार्बजनिक नहीं किया जाता है।
श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार राज्य के लिए एसेट के बजाय लायबिलिटी जमा करा रही है।यदि निर्माण कार्यों में व्यापक धांधलियों को रोका नहीं गया तो राज्य की यातायात अबसंरचना ध्वस्त हो जायेगी।सरकार को विधानसभा की जाँच कमिटी बनाकर पूर्णिया और बेगूसराय की इन घटनाओं की जाँच करानी चाहिए।