बिहार विधानमंडल में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को कहा कि आजादी के अमृतवर्ष में ऐतिहासिक कार्य संसद भवन का उद्घाटन का विपक्ष द्वारा वहिष्कार लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला निर्णय है।
उन्होंने कहा कि हकीकत है कि यह विरोध केवल विरोध मात्र के लिए किया जा रहा, लेकिन इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश की लोकतंत्र के इस ऐतिहासिक पड़ाव में ऐतिहासिक संसद भवन देश को मिलने जा रहा है। इससे सभी देशवासियों को गर्व होना चाहिए और उल्टे विपक्ष का इसका विरोध करना गलत परम्परा की शुरुआत है।
विपक्ष के इस वहिष्कार को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह न केवल गलत परम्परा की शुरुआत है बल्कि जनादेश का भी अपमान है।
उन्होंने कहा कि नया संसद भवन भारत के लोकतांत्रिक संकल्प के साथ 140 करोड़ भारतीयों के स्वाभिमान और उनकी आकांक्षाओं की भी अभिव्यक्ति है।
उन्होंने कहा कि संसद भवन का उद्घाटन एक एतिहासिक अवसर है जो 21वीं सदी में फिर नहीं आएगा। हमें संवैधानिक सत्र और सार्वजनिक समारोह में अंतर समझना चाहिए।
उन्होंने राजद, जदयू और कांग्रेस के उन मुख्यमंत्रियों से सवालिया लहजे में कहा कि क्या जब वे विधानसभा भवनों में उद्घाटन किए क्या वे राज्यपाल को आमंत्रित किए थे। उन्होंने कहा कि ये लोग जनता को भरमाने का काम बंद करे और लोकतंत्र को कमजोर करने का काम नहीं करें।