मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर से राजद विधायक चंद्रहाल चौपाल कहते हैं कि डॉ भीम राव अंबेदकर ने संविधान में समानता का अधिकार दिया था, लेकिन लालूजी ने समानता की अवधारण को जमीन पर उतारा।
लालूजी ने सामाजिक और राजनीतिक सत्ता के पर्याय रहे खटिया, चौकी और कुर्सी का भेद समाप्त कर दिया और सबके लिए सुलभ बना दिया। समानता के अधिकार का कार्यान्वयन किया। उन्होंने कहा कि समाज के वंचित जातियों को संसदीय संस्थाओं में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया। जिन जातियों के लोग सांसद, विधायक बनने का सपना नहीं देख सकते थे, उन जातियों के लोगों को लालूजी ने विधायक और सांसद बनाया। एमएलसी बनाया। मुन्नी देवी, भगवतिया देवी जैसे दर्जनों उदाहरण हैं। चंद्रहास चौपाल कहते हैं कि सभी जाति के लोगों को एक पांत और जमात में बैठ कर खाने का आत्मबल लालूजी ने ही दिया है। यह सामाजिक और राजनीतिक सम्मान और प्रतिष्ठा का सबसे बड़ा उदाहरण है। लालूजी की 50 वर्षों की राजनीतिक यात्रा का हर पड़ाव बदलाव और परिवर्तन की गवाह रही है।