संसद में नीतीश कुमार। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर पांच खंडों में विभाजित एक पुस्तक का लोकार्पण शुक्रवार को हुआ। जगजीवन राम संसदीय अध्ययन और राजनीतिक शोध संस्थान के सभागार में। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी, विधान परिषद सदस्य और साहित्यकार प्रो. रामवचन राय ने संयुक्त रूप से पुस्तक का लोकार्पण किया।
इस दौरान पुस्तक के संपादक जगनारायण सिंह यादव, प्रकाशक श्याम कुमार, वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत, संस्थान के निदेशक डॉ नरेंद्र पाठक और विधान पार्षद संजय सिंह गांधी मौजूद थे। मंच का संचालन ई. संतोष यादव कर रहे थे।
इस आयोजन के दौरान हमारी भूमिका अतिथियों और श्रोताओं को कुर्सी पर जगह बताने तक सीमित थी। कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही श्रोताओं का सैलाब उमड़ पड़ा। सभागार में जमी-जमायी कुर्सियों के अलावा बड़ी संख्या में प्लास्टिक की कुर्सी का भी इंतजाम करना पड़ा। इसके बावजूद सभी श्रोताओं के बैठने के लिए कुर्सी कम पड़ जा रही थी। बडी़ संख्या में श्रोता खड़े भी थे। खुद हम अपने लिए ही कुर्सी नहीं तलाश पा रहे थे। हॉल से लगे सभी दरवाजों पर दर्शक बैठे या खड़े थे। हम कार्यक्रम के बीच में ही हॉल से बाहर गलियारे में निकले तो एक परिचित श्रोता मिल गये। उन्होंने पूछा कि हॉल में जगह है। हमने कहा कि अंदर जाइए, बहुत जगह है। जबकि हॉल में एक भी कुर्सी खाली नहीं थी। इस दौरान हमें बस यात्रा का दृश्य याद आ गया। बस खचाखच भरी होती है। अंदर में घुसे लोग ही ठीक से खड़ा नहीं हो पाते हैं। लेकिन हर स्टॉप पर कंडक्टर नीचे खड़े यात्रियों से यही कहता है कि अंदर आइए, बहुत जगह है। उस परिचित श्रोता को हॉल में जगह होने का भरोसा दिलाते हुए हमें बस कंडक्टर होने का आनंद की अनुभूति हुई।
लोकार्पण समारोह भी ज्ञानवर्द्धक होने के साथ ही आनंददायक भी था। किताब के संदर्भ में कई सामाजिक, राजनीतिक और वैचारिक परिप्रेक्ष्य भी सामने आये। कार्यक्रम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषणों के संकलन पर आधारित था। इसलिए पूरे समारोह के केंद्रीय विषय नीतीश कुमार ही थे। किताब के संपादक और बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य जगनारायण सिंह ने अपने संबोधन में किताब के प्रकाशन की पृष्ठभूमि और विषय वस्तु पर प्रकाश डाला तो संस्थान के निदेशक डॉ. नरेंद्र पाठक ने बदलते बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका को अपने संबोधन के केंद्रबिंदु में रखा। यह भी महत्वपूर्ण बात है कि डॉ पाठक ने भी नीतीश कुमार के संसद ने दिये गये भाषणों का संपादन किया है और उसका शीर्षक है- संसद में विकास की बातें। वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत ने डॉ लोहिया के संदर्भ में पुस्तक की उपयोगिता की चर्चा करते हुए कहा कि ये भाषण एक दस्तावेज होता है और संसदीय यात्रा की धरोहर भी।
विधान पार्षद डॉ रामवचन राय ने वर्तमान राष्ट्रीय राजनीति के परिप्रेक्ष्य में नीतीश कुमार की महत्ता और भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की प्रासंगिकता बढ़ती जा रही है। मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव और विजय कुमार चौधरी ने भी बिहार के विकास में नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व और सार्थक दिशा की चर्चा की। दोनों मंत्रियों ने कहा कि सीएम नीतीश का विजन जनसरोकार को जनसापेक्ष बनाने का है। इस पहल को जमीन पर उतारने में अपने दायित्व का ईमानदारी निर्वाह करते रहे हैं। इन मंत्रियों ने कहा कि हरनौत से संसदीय जीवन की शुरुआत करने वाले नीतीश कुमार का राजनीतिक फलक राष्ट्रीय हो गया है और अब उनकी राष्ट्रीय स्वीकार्यता बढ़ने लगी है। जगनारायण सिंह यादव द्वारा संपादित पुस्तक ‘संसद में नीतीश कुमार’ मुख्यमंत्री के संसदीय यात्रा को नया आयाम देगी।
समारोह का संचालन करते हुए संतोष यादव ने मुख्यमंत्री के वैचारिकी पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथियों का स्वागत के साथ ही पुस्तक का लोकार्पण किया गया।