बुधवार को काफी दिनों बाद हम किसी राजनीतिक पार्टी का कार्यक्रम कवरेज करने गये थे। कार्यक्रम पटना के बापू सभागार में आयोजित था। जेपी जयंती पर आयोजित था मिलन समारोह। जदयू के विधान पार्षद रहे डॉ रणवीर नंदन की घर वापसी थी। 12 साल पहले भाजपा छोड़कर जदयू में गये थे। बुधवार को वापस भाजपा के साथ हो गये। माना यह भी जा रहा है कि भाजपा उन्हें पटना साहिब लोकसभा सीट से रविशंकर प्रसाद का विकल्प के रूप में देख रही है। राजद प्रमुख लालू यादव कहते भी हैं कि हमारे हमउम्र (70 प्लस) साथियों को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। उनकी यह सलाह अपनी पार्टी के नेताओं के लिए है, लेकिन यह सलाह भाजपा नेताओं पर भी लागू हो सकती है। खैर।
रणवीर नंदन का मिलन समारोह बापू सभागार में आयोजित किया गया था। इसलिए आयोजन की महत्ता स्वाभाविक रूप से बढ़ गयी थी। इस मिलन समारोह में प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के साथ तीन सांसद राधा मोहन सिंह, रविशंकर प्रसाद और संजय जयसवाल मौजूद थे। नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा और हरी सहनी भी उपस्थित थे। पूर्व मंत्री प्रेम कुमार, विधायक संजीव चौरसिया और ऋतुराज सिन्हा समेत पार्टी के कई पदाधिकारी मौजूद थे। इस मौके पर सभा को संबोधित करते हुए रणवीर नंदन ने कहा कि राधामोहन सिंह और रविशंकर प्रसाद की प्रेरणा से राजनीति में कदम रखा था और आज फिर उनके ही सान्निध्य में पार्टी में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने पार्टी के प्रति आस्था व्यक्त करते हुए कहा कि अब भाजपा उनके लिए सर्वस्व है।
सम्राट चौधरी और रणवीर नंदन कभी साथ-साथ विधान परिषद में जदयू के सदस्य थे। अब दोनों भाजपा में साथ-साथ हैं। रणवीर नंदन को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराने के बाद सम्राट चौधरी ने सभा को संबोधित किया। सम्राट चौधरी के पूर्व कई वक्ताओं ने राजद के वंशवाद को निशाने पर रखा, लेकिन सम्राट चौधरी इस मुद्दे पर मौन हो गये। रविशंकर प्रसाद और ऋतुराज सिन्हा अपने पिता की विरासत की राजनीति कर रहे हैं। इसके बावजूद वे दोनों वंशवाद को जहर बता रहे थे। इसके विपरीत सम्राट चौधरी वंशवाद को विष बताने का दंश नहीं झेलना चाहते हैं।
सम्राट चौधरी और तेजस्वी यादव बिहार के दो राजनीतिक खेमा (धारा नहीं) के प्रमुख चेहरे हैं। दोनों अपने पिता की विरासत पर राजनीति कर रहे हैं। संभवत: इसलिए सम्राट चौधरी ने वंश की बात नहीं की। भाजपा के कोई भी नेता जब वंश की बात करते हैं तो सम्राट चौधरी की वंशबेल को भी झकझोरते हैं। इस असहज स्थिति को सामान्य बनाये रखने की कोशिश में श्री चौधरी भाजपा का कर्ज उतारने का भरोसा दिलाते हैं। वे भ्रष्टाचार के बहाने लालू यादव को घेरने की कोशिश जरूर करते हैं, लेकिन निशाने पर सीएम नीतीश कुमार रहते हैं। भाजपा अध्यक्ष ने कुर्मी-कोईरी विवाद को सुलगाते हुए कहा कि नीतीश कुमार को कुर्सी लव-कुश ने दी थी, लेकिन सत्ता नीतीश कुमार के हिस्से आयी। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका भाजपा की ही थी। अगले चुनावों में जनता उन्हेंं नकार देगी।