जनवरी, 2024 में सरकार के करवट बदलने के लगभग पांच महीने बाद विधान सभा की विधायी समितियों ने भी अंगड़ाई ली है। सरकार बदलने और लोकसभा चुनाव की वजह से समितियां एक्सटेंशन पर चल रही थीं। एक्सटेंशन 30 जून को समाप्त हो रहा था। इससे एक दिन पहले विधान सभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने समितियों का पुनर्गठन किया है। विधान सभा की 23 विधायी समितियां होती हैं। इसमें नियम, विशेषाधिकार एवं सामान्य प्रयोजन समिति के सभापति अध्यक्ष ही होते हैं। शेष 22 समितियों के सभापति के नामों की घोषणा कर दी गयी है। इन्हीं 22 समितियों में सभी विधायकों को सदस्य के रूप में एडजस्ट किया जाता है। समितियों की बैठक में शामिल होने के एवज में ही विधायकों को दैनिक भत्ता मिलता है। इन समिति की बैठक प्रति दस दिन या उससे पहले होना जरूरी है। महीने में कम से कम तीन बैठक भी जरूरी है।
विधान सभा सचिवालय से जारी सभापति की सूची के अनुसार, 22 समितियों में से 3 के सभापित यादव हैं। इसमें लोकलेखा समिति के सभापति भाई वीरेंद्र, गैरसरकारी संकल्प समिति के सभापति तेज प्रताप यादव और महिला एवं बाल विकास समिति की सभापति गायत्री देवी शामिल हैं। याचिका समिति के सभापति अशोक कुमार सिंह और बिहार विरासत विकास समिति के सभापति केदारनाथ सिंह राजपूत हैं। कोईरी जाति से सुनील कुमार पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण समिति और जिला परिषद एवं पंचायती राज समिति के निरंजन कुमार मेहता सभापति हैं। धानुक जाति के दामोदर रावत राजकीय आश्वासन समिति और भारत भूषण मंडल शून्यकाल समिति के सभापति मनोनीत किये गये हैं। कुर्मी जाति के हरिनारायण सिंह सरकारी उपक्रम समिति और अवधेश सिंह निवेदन समिति के सभापति हैं।
मुसलमान शकील अहमद खान अल्पसंख्यक कल्याण समिति और नेहालुद्दीन आंतरिक संसाधन एवं केंद्रीय सहायता समिति के सभापति बनाये गये हैं। बनिया तारकिशोर प्रसाद प्राक्कलन समिति और राम नारायण मंडल आचार समिति के सभापित मनोनीत किये गये हैं। भूमिहार अजीत शर्मा प्रत्यायुक्त विधान समिति और ब्राह्मण अमरेंद्र पांडेय प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति के सभापति मनोनीत किये हैं।
अनुसूचित जाति के पांच विधायकों को भी सभापति का दायित्व सौंपा गया है। डा. रामप्रीत पासवान को अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण समिति, अशोक चौधरी को आवास समिति, सत्यदेव राम को पर्यटन उद्योग विकास समिति, सूर्यकांत पासवान को कृषि उद्योग विकास समिति और रामवृक्ष सदा को पुस्तकालय समिति का सभापित बनाया गया है। जाति की साझीदारी की बात करें तो यादव 3, राजपूत 2, कोईरी 2, धानुक 2, बनिया 2, कुर्मी 2, मुसलमान 2, भूमिहार 1 , ब्राह्मण 1 और अनुसूचित जाति के 5 सभापति मनोनीत किये गये हैं। सभापति के रूप में एक निजी स्टाफ रखने की सहूलियत है, जिसका भुगतान सरकार करती है। यह विधायक के रूप में मिलने वाले स्टाफ के अतिरिक्त होता है।
हम पार्टी के स्तर पर बात करें तो भाजपा के 7, राजद के 6, जदयू के 5, कांग्रेस के 2 तथा माले और सीपीआई के 1-1 सभापति मनोनीत किये गये हैं। गौरतलब है कि विधायकों की संख्या के आधार पर पार्टी का कोटा तय होता है। पार्टी नेता की अनुशंसा पर विधान सभा अध्यक्ष सभापति का मनोनयन करते हैं। समितियों का बंटवारा भी सत्ता और विपक्ष के आधार पर किया जाता है। इसकी एक परंपरा बनी हुई है।
जिन 22 सदस्यों को सभापति के रूप में मनोनीत किया है, उनमें से 7 पहले से ही उसी समिति के सभापति हैं। इसमें हरिनारायण सिंह, अशोक चौधरी, दामोदर रावत, अमरेंद्र पांडेय, अजीत शर्मा, शकील अहमद खान और सत्यदेव राम शामिल हैं। जबकि चार तारकिशोर प्रसाद, भाई वीरेंद्र, मो. निहालुद्दीन और भारत भूषण मंडल को नयी समिति का सभापति बनाया किया है। मतलब यह है कि 22 में से 11 को फिर से सभापति की जिम्मेवारी सौंपी गयी है। शेष 11 सभापति की जिम्मेवारी नये लोगों को सौंपी गयी है। हालांकि रामनारायण मंडल और तेजस्वी प्रसाद यादव अगस्त, 2022 के पहले भी उन्हीं समिति के सभापति रहे थे, जिसका जिम्मा आज सौंपा गया है।