
दरअसल चुनाव के इस मौसम में हर पार्टी मुख्यालय के बाहर टिकट की प्रत्याशा में दावेदार भटकते मिल जाएंगे। दावेदारी करने वाले चुनाव जीतने के बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन जिस चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़ने की उम्मीद कर रहे हैं, उसी क्षेत्र के पिछले तीन चुनाव में निर्वाचित विधायकों के नाम नहीं बता पाएंगे। पार्टी के प्रति वफादारी के कसीदे गढ़ेंगे, लेकिन जनता के मुद्दे पर दो कदम आगे बढ़ने का साक्ष्य नहीं दे पाएंगे। कहने का मतलब है कि आंकड़ों को लेकर सपाट मिलेंगे। उनकी पूरी राजनीति चाय की चुक्कड़ और भुंजा से भरे अखबार के पन्ने पर समाप्त हो जाती है।
इसकी वजह है कि कोई आंकड़े उनके पास नहीं होते हैं, कोई दस्तावेज नहीं होते हैं। पार्टियों की ओर से भी कोई आंकड़ों का बैकअप अपने कार्यकर्ताओं को उपलब्ध नहीं कराया जाता है। अपने नेता के गुणगान और यशोगान में ही पार्टी का प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हो जाता है। वीरेंद्र यादव फाउंडेशन ने इसी अभाव को भरने का प्रयास किया है। वीरेंद्र यादव फाउंडेश्न ने वीरेंद्र यादव न्यूज के साथ मिलकर 616 पन्नों की एक पुस्तक प्रकाशित की है। यह पुस्तक मासिक पत्रिका वीरेंद्र यादव न्यूज के अंक 62 से 120 अंक का संकलन है। इन अंकों को स्पायरल कराकर पुस्तक का नाम दे दिया गया है। आकर्षक कवर भी है। बिहार की राजनीति पर तथ्यों से भरपूर इस पुस्तक की कीमत मात्र 5500 (पचपन सौ) रुपये हैं।

यह पुस्तक पिछले 5 सालों के राजनीतिक घटनाक्रम का दस्तावेज है। चुनावी सामग्री का खजाना है। 2020 में दोनों प्रमुख गठबंधनों के उम्मीदवार के नाम, जाति और क्षेत्र के बारे एक साथ जानकारी इसी पुस्तक में है। निर्वाचित विधायकों की जाति और उनको मिले वोट का हिसाब भी इस पुस्तक में है। इतना ही नहीं, आरएलएसपी और लोजपा के उम्मीदवारों के नाम, उनकी जाति और उनको मिले वोट का डाटा भी इस पुस्तक में है। लोकसभा चुनाव से जुड़ी जानकारी भी मौजूद है। सबसे बड़ी बात है कि सभी विधान सभा क्षेत्र में 10 प्रमुख जातियों के वोटरों की संख्या भी इस पुस्तक में बतायी गयी है। एकदम परफेक्ट। इसके डाटा पर कोई आशंका हो तो आप घर-घर वोटों की गिनती कर सकते हैं। वीरेंद्र यादव फाउंडेशन बिहार में अकेली संस्था है, जिसके पास पिछले विधान सभा चुनाव के सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवार, उनका क्षेत्र, जाति और मोबाईल नंबर उपलब्ध है।
यदि आप चुनाव में टिकट के लिए भटक रहे हैं तो यह पुस्तक आपके झोले में होनी चाहिए। क्योंकि आपके नेता के हर सवाल का जवाब इस पुस्तक में है। आपके विधान सभा क्षेत्र की सामाजिक बनावट, जातीय बसावट, परिसीमन के बाद निर्वाचित विधायकों की सूची से लेकर जाति का वोट तक सब कुछ इस पुस्तक में उपलब्ध है मात्र साढ़े पांच हजार रुपये में।
इसके अलावा आपके विधान सभा क्षेत्र में पिछले चुनावों का वोट ट्रेंड, बूथवार उम्मीदवारों को मिले वोट से लेकर चुनाव से जुड़ी हर सामग्री उपलब्ध है वीरेंद्र यादव फाउंडेशन के पास। किताब में प्रकाशित 10 जातियों के अलावा कम से कम 25 और जातियों का डाटा उपलब्ध है। इसके लिए आपको अलग से भुगतान करना पड़ेगा। इसके साथ ही, यह भी स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम किताब बेचते हैं, चुनावी डाटा बेचते हैं, पार्टियों का टिकट नहीं। किस पार्टी का टिकट बिकने का सेंटर कहां-कहां है, यह हम जरूर बता सकते हैं।
अब आते हैं किताब के नाम पर। किताब का नाम –‘राजनीति की जाति पार्ट-2’ है। पिछले विधान सभा चुनाव में हमने ‘राजनीति की जाति’ नाम से पुस्तक प्रकाशित किया था। तीन सौ से अधिक कॉपी बिक गयी थी। 50 से अधिक ग्राहकों को टिकट भी मिल गया था। उसमें से कई आज विधायक भी हैं। टिकट की दौड़ में किताब के आंकड़ों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।
अंत में, फिर आग्रह करेंगे कि चुनाव के टिकट की दौड़ में शामिल हैं तो पुस्तक जरूर खरीदें। आप चुनाव में चर्चा के लिए पुस्तक खरीदना चाहते हैं तो यह पुस्तक आपको नहीं खरीदनी चाहिए। हम चाहते हैं कि आपके पैसे का सदुपयोग हो। और हां, जो 5500 रुपये में किताब खरीदने की हैसियत नहीं रखते हैं, उन्हें 5 करोड़ में चुनाव लड़ने का सपना तो बिल्कुल नहीं देखना चाहिए।