शाहाबाद के साथ रक्तरंजित इतिहास का विस्तार मगध की जमीन पर भी खूब हुआ। मगध और शाहाबाद को बांटने वाली सोन नदी की धारा इतिहास का गवाह रही है। दलेलचक बघौरा, बारा से लेकर मियांपुर तक सभी इसी मगध की जमीन के दस्तावेज हैं। अनुग्रह नारायण सिंह मगध की राजनीति की पहचान थे। उनके बाद उनके पुत्र सत्येंद्र नारायण सिंह आजीवन राजपूतों के पोप बने रहे। राजनीतिक गलियारे में औरंगाबाद को चितौड़गढ़ कहा जाता था। चितौड़गढ़ के किले को ध्वस्त करने में पिछड़ों की कई पीढि़यां गुजर गयी, हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में किला ध्वस्त हो गया। राजपूतों के किले पर कोईरी ने झंडा लहराया।

मगध एक प्रशासनिक ईकाई भी है। इसे मगध प्रमंडल कहा जाता है। इसके पांच जिलों में विधान सभा की 26 सीटें हैं। गया में 10, औरंगाबाद 6, नवादा में 5, जहानाबाद में 3 और अरवल जिले में 2 विधान सभा सीट हैं। बेलागंज में हुए उपचुनाव में जदयू की जीत के साथ मगध प्रमंडल में पार्टी का खाता खुला। मनोरमा देवी मगध प्रमंडल में जदयू की एकमात्र विधायक हैं।
पत्रकार वीरेंद्र यादव की पुस्तक राजनीति की जाति पार्ट -2 (कीमत 5500 रुपये) के अनुसार, मगध की 26 सीटों में से यादव विधायकों की संख्या 8 है। भूमिहार और राजपूत 3-3 हैं। मुसलमान, चमार और मुहसर विधायको की संख्या 2-2 है। इसके अलावा कोईरी, दांगी, दुसाध, कहार, बनिया और पासी विधायकों की संख्या 1-1 है। इसी पुस्तक के अनुसार, मगध में 14 विधायक राजद के हैं। भाजपा, हम और कांग्रेस 3-3 विधायक हैं। जबकि माले के 2 और जदयू की एक विधायक हैं।

पत्रकार वीरेंद्र यादव की पुस्तक राजनीति की जाति पार्ट -2 में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, नवादा जिले के हिसुआ और वारसलीगंज में भूमिहार सबसे बड़ा वोटर समूह है, जबकि औरंगाबाद जिले के नवीनगर, औरंगाबाद और कुटुंबा विधान सभा क्षेत्र में राजपूत सबसे बड़ा वोटर समूह हैं। अन्य सीटों पर यादव या मुसलमान सबसे बड़ा वोटर समूह हैं।
पत्रकार वीरेंद्र यादव की पुस्तक राजनीति की जाति पार्ट -2 में बिहार की राजनीति और चुनाव से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण तथ्य संकलित किये गये हैं। पिछले चुनावों (विधान सभा व लोकसभा) में उम्मीदवारों की जाति, जीते हुए उम्मीदवारों की जाति, प्राप्त वोट एवं प्रतिशत के साथ ही परिसीमन के बाद निर्वाचित सभी विधायकों की जातिवार सूची पुस्तक में उपलब्ध है। इस पुस्तक में वह सब आंकड़े संकलित हैं, जो एक टिकट के दावेदारों के लिए अपेक्षित है। यदि आप भी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं तो आपको यह पुस्तक खरीद कर जरूर पढ़ना चाहिए। यदि आप किसी भी पार्टी में टिकट के दावेदार हैं तो आप 9199910924 पर अपने दावों के आधार और अनुभव के संबंध में सूचित कर सकते हैं। आपके दावों के आधार पर आप से जुड़ी खबर अपनी पोर्टल birendrayadavnews.com पर प्रकाशित और प्रसारित कर सकते हैं। जिन जातियों की आबादी जातीय जनगणना के अनुसार, 1 प्रतिशत से कम है, उन्हें यह पुस्तक नहीं खरीदनी चाहिए, क्योंकि इन जातियों के दावेदारों को कोई भी पार्टी टिकट देने के लायक नहीं समझती है।
पत्रकार वीरेंद्र यादव की पुस्तक राजनीति की जाति पार्ट -2 के आंकड़ों के अनुसार, मगध में लोकसभा की साढ़े चार सीट है। काराकाट लोकसभा के तीन विधान सभा क्षेत्र गोह, ओबरा और नबीनगर औरंगाबाद जिले में पड़ते हैं। इसके साथ औरंगाबाद, गया और जहानाबाद पूरी तरह से मगध के क्षेत्राधिकार में आता है। जबकि नवादा लोकसभा का बरबीघा विधान सभा क्षेत्र शेखपुरा जिले में पड़ता है, जो मुंगेर प्रमंडल का हिस्सा है। पिछले लोकसभा में बेलागंज के विधायक सुरेंद्र यादव जहानाबाद से और इमामगंज के विधायक जीतनराम मांझी गया से लोकसभा के लिए चुने गये थे। उपचुनाव में बेलागंज से जदयू की मनोरमा देवी और इमामगंज से दीपा मांझी निर्वाचित हुई थीं।
आगामी विधान सभा चुनाव में मगध प्रमंडल की 26 विधान सभा सीट राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। विधान सभा चुनाव में मगध में महागठबंधन को बड़ी जीत मिली थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में एनडीए को भी मजबूत हिस्सेदारी मिली। राजपूत, यादव और भूमिहार के प्रभाव क्षेत्र में एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए यह क्षेत्र मायने रखता है और इसे कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता है।