बिहार प्रदेश जनता दल (यू0) के माननीय अध्यक्ष श्री उमेश सिंह कुशवाहा ने गुरुवार को बयान जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रीय जनता दल की राजनीतिक विचारधारा पूरी तरह से पारिवारिक आरक्षण से प्रेरित है। उनकी राजनीतिक शब्दावली में गरीबों, शोषितों और वंचितों के लिए कोई स्थान नहीं है।

श्री कुशवाहा ने कहा कि जब-जब जनता ने लालू परिवार को सेवा का अवसर दिया, तब-तब उन्होंने जनहित की उपेक्षा कर निजी हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। राजद की राजनीति हमेशा सत्ता के माध्यम से अपने परिवार को लाभ पहुँचाने तक सिमटी रही है और आज वही लोग विपक्ष में बैठकर आरक्षण के नाम पर घड़ियाली आँसू बहा रहे हैं। बिहार की जनता ऐसे दोहरे चरित्र वाले नेताओं के बहकावे में अब कभी नहीं आएगी।
उन्होंने कहा कि राजद का ‘सामाजिक न्याय’ केवल चुनावी स्टंट है, जबकि उनकी असली राजनीति ‘पारिवारिक न्याय’ की पर्याय बन चुकी है। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी यादव से सवाल करते हुए कहा कि उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनके माता-पिता ने 15 वर्षों के शासनकाल में दलितों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों के सशक्तिकरण के लिए कौन-कौन से ठोस कदम उठाए?
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जब बिहार की कमान श्री नीतीश कुमार ने संभाली, तब उन्होंने समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएँ शुरू की। जातीय गणना और उसके आंकड़ों के आधार पर आरक्षण की सीमा में की गई बढ़ोतरी उनकी दूरदर्शी सोच का प्रमाण है।
इसके विपरीत, जब राजद को 15 वर्षों तक सत्ता में रहने का अवसर मिला, तब न उन्होंने जातीय आंकड़ों को संकलित किया और न ही आरक्षण के सवाल पर कोई पहल की, यहाँ तक कि इस मुद्दे पर चर्चा करना भी उन्होंने ज़रूरी नहीं समझा। श्री कुशवाहा ने विश्वास व्यक्त किया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 65 प्रतिशत आरक्षण का मार्ग प्रशस्त होगा और इससे शोषित एवं वंचित वर्गों को वास्तविक लाभ मिलेगा।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमारे नेता श्री नीतीश कुमार के लिए सामाजिक न्याय कोई राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि उनके जीवन का संकल्प है। इसके विपरीत विपक्ष इस गंभीर मुद्दे को महज़ एक राजनीतिक हथियार बनाकर जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहा है।