बिहार सरकार में मंत्री हैं मुकेश सहनी यानी सन ऑफ मल्लाह। पैसा छींटकर राजनीति में आये और समीकरण के सहारे सत्ता की सीढि़यों पर चढ़ते गये। उन्हें न नरेंद्र मोदी से परहेज रहा और न तेजस्वी यादव से। सत्ता की उम्मीद जहां दिखी, एंट्री मार दी। लोकसभा चुनाव में राजद के साथ रहे और विधान सभा चुनाव में भाजपा के साथ। भाजपा में टिकट के दावेदारी करने वाले नेताओं को वीआईपी में एडजस्ट किया गया और चार विधायक भी बन गये। खुद पहले मंत्री बने और फिर एमएलसी डेढ़ वर्षों के लिए। भाजपा की अनुकंपा से सत्ता में पहुंचे मुकेश सहनी अब नये फेरे में पड़ गये हैं। मंत्री के रूप में उन्हें जो सरकारी बंगला 6 नंबर, स्टैंड रोड आवंटित किया है, उसमें रहने वाला कोई भी व्यक्ति चैन से नहीं बैठा है और न कार्यकाल पूरा किया है।
6 नंबर की दीवार से लगा 7 नंबर बंगला जदयू के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का आवास है। यह मकान जदयू के मुख्य सचेतक संजय गांधी के नाम से आवंटित है, लेकिन राज्यसभा सांसद बनने के बाद से आरसीपी सिंह इसी मकान में रह रहे हैं। इस कारण 6 नंबर में रहने वाले मंत्री आरसीपी सिंह के पड़ोसी हो जाते हैं।
6 नंबर बंगला मंत्री के लिए अपशकुनी रहा है। 2015 के चुनाव के पहले इसमें मंत्री के रूप में अवधेश कुशवाहा रहा करते थे। लेकिन चुनाव से पहले एक विवाद में फंस जाने के बाद उनका पता साफ हो गया था और टिकट भी नहीं मिल पाया था। 2015 के बाद यह मकान आलोक मेहता को आवंटित हुआ, उन्हें बीच में सरकार से विदा होना पड़ा। इसके बाद यह मकान मंजू वर्मा को मिला। इस मकान में आने के बाद वे चैन से नहीं रह पायी। कई विवादों में फंसी और जबरिया इस्तीफा दिलवा दिया गया। मंजू वर्मा के बाद यह आवास मुकेश सहनी को आवंटित हुआ है। वे अपनी जगह पर सरकारी कार्यक्रमों में भाई को भेजने के विवाद में उलझ चुके हैं। उनका राजनीतिक भविष्य अब भाजपा की अनुकंपा पर टीका हुआ है। अगले साल विधान परिषद सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है। यदि भाजपा ने फिर से एमएलसी नहीं बनाया तो सरकार से विदाई तय है। भाजपा ने चुनावी समझौते के तहत एक बार एमएलसी बनाने का वादा किया था, जिसे पूरा कर दिया। अगली बार के लिए कोई बाध्यता नहीं है। 6 नंबर आवास का इतिहास बता रहा है कि कोई भी मंत्री कार्यकाल पूरा नहीं करता है। उस हिसाब से आने वाले दिन मुकेश सहनी के लिए भारी पड़ सकते हैं।