बिहार विधान सभा के बजट सत्र के दौरान 23 मार्च को विपक्षी विधायकों के कथित अभद्र आचरण पर आचार समिति में सुनवाई जारी है, लेकिन समिति अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। मानसून सत्र के बाद इस पर मंथन जारी रहेगा।
विधान सभा सचिवालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आठ विपक्षी सदस्यों के आचरण को लेकर आरोप गठित किया जा रहा है। इसमें तीन लोगों पर गंभीर आरोप है। बैठक की कार्यवाही के दौरान इनके आचरण को संसदीय परपंरा के अनुकूल नहीं माना गया है। लेकिन 23 मार्च को ही, हंगामे के बाद रात में सदन की कार्यवाही के संचालन के दौरान स्पीकर ने मुख्य विपक्षी राजद के नेतृत्व को अपरिपक्त बताया था। इसको लेकर राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि क्या नेता प्रतिपक्ष को लेकर स्पीकर द्वारा दिया गया बयान संसदीय परंपरा और मर्यादा के अनुकूल है?
विपक्षी विधायकों पर लगाये जा रहे आरोपों के संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार, राजद के भाई वीरेंद्र (मनेर) और सीपीएम के सत्येंद्र यादव (मांझी) पर गंभीर आरोप बनाये जा रहे हैं, जबकि कुछ अन्य विधायकों पर आरोपों की ‘मारक क्षमता’ कम है। सदन के वीडियो फूटेज के आधार आचार समिति का आरोप है कि सत्येंद्र यादव ने वित्तमंत्री के हाथ को कागजाज छीन लिया। इसके साथ ही कुर्सी-टेबुल भी तोड़ा। भाई वीरेंद्र के खिलाफ समानांतर सदन चलाने का आरोप है। इसे संसदीय परंपरा के खिलाफ माना जा रहा है। गोविंदपुर से राजद के विधायक मो. कामरान पर आसन के हाथ से कागज छीनने का आरोप है। इस काम में जहानाबाद के विधायक सुदय यादव ने उनका साथ दिया है। इन दोनों पर एक समान आरोप है। चेरियाबरियापुर के विधायक राजवंशी महतो के खिलाफ महिला मार्शल के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप है। हथुआ के विधायक राजेश कुमार सिंह, मखदुमपुर के विधायक सतीश दास और अगिआंव के विधायक मनोज मंजिल के खिलाफ कुर्सी-माईक तोड़ने और अभद्र आचरण का आरोप है।
आचार समिति ने आरोपों की सूची विधान सभा द्वारा उपलब्ध कराये गये वीडियो फूटेज के आधार पर बनायी गयी है, जबकि इसमें पुलिस द्वारा विधायकों के साथ की गयी मारपीट और हाथापाई का वीडियो शामिल नहीं है। पुलिस दुर्व्यवहार के फूटेज समाचार चैनलों पर खूब चलाये गये थे, जो समिति को उपलब्ध नहीं कराये गये हैं। आचार समिति के पांच सदस्यों में तीन भाजपा के तथा राजद व जदयू के एक-एक सदस्य हैं। आचार समिति की रिपोर्ट के बाद ही विधान सभा सचिवालय की ओर विधायकों के व्यवहार को लेकर कोई बयान सभा पटल पर रखा जा सकता है। विधायकों के व्यवहार की जांच का जिम्मा विधान सभा स्पीकर ने आचार समिति को सौंपा था और समिति रिपोर्ट भी उनको ही करेगी। इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री की ओर से कोई जवाब सदन में दिया जा सकता है। लेकिन मानसून सत्र में विधायकों के आचरण को लेकर विधान सभा सचिवालय कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है।
उधर, राजनीतिक जानकारों की माने तो सत्येंद्र यादव, भाई वीरेंद्र और मो. कामरान के खिलाफ कुछ दिनों के लिए निलंबन की कार्रवाई हो सकती है, जबकि अन्य सदस्यों को माफीनामा से भी काम चल सकता है। इसके साथ, हम यह भी स्पष्ट कर दें कि अभी हम सिर्फ आरोप की बात कर रहे हैं। किसी भी विधायक के खिलाफ दोष साबित होने के बाद ही कार्रवाई की जा सकती है।