बिहार विधान सभा के मॉनसून सत्र के कामकाज का मंगलवार को पहला दिन था। सोमवार को पहला दिन शुरुआत और शोक संवेदना की औपचारिकता में समाप्त हो गया था। मंगलवार को हम करीब पौने 11 बजे विधान सभा के गेट पर पहुंचे। विपक्षी दलों का विरोध प्रदर्शन मैदान और पोर्टिको में जारी था। हम पोर्टिको के पास से खड़े होकर तस्वीर लेने लगे तो एक पुलिस अधिकारी ने आकर कहा कि ह्वाइट लाइन के बाहर जाइए या सदन में जाइए। इसके बाद प्रदर्शनकारियों के बगल से अंदर प्रवेश कर गये। ह्वाइट लाइन (सफेद चिह्न) की यह धमक सदन की कार्यवाही में भी बरकरार रही। विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव विधायकों के साथ दुर्व्यवहार के मामले में दोषियों पर सरकार से कार्रवाई की मांग कर रहे थे। इस संबंध में एक प्रस्ताव भी लाया। इसके उत्तर में संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि ह्वाइन लाइन के अंदर का क्षेत्र स्पीकर के क्षेत्राधिकार में आता है। ऐसे में सरकार कुछ नहीं कर सकती है और स्पीकर ने कहा है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कुछ के खिलाफ कार्रवाई भी की गयी है।
बैठक के दौरान स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने विधायकों से कहा कि आपके प्रश्न का उत्तर ऑनलाइन आ गया है और पूरक प्रश्न पूछिये। उन्होंने इस तरह का निर्देश कई बार दिया। उल्लेखनीय है कि समय की बचत और विधायकों की सहूलियत के लिए विधान सभा सचिवालय ने ऑनलाइन उत्तर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। सदन की बैठक स्थगित होने के बाद हमने कई विधायकों से पूछा कि ऑनलाइन उत्तर के संबंध में कितनी जानकारी है और उसे कैसे देखते और पढ़ते हैं। इसका कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिल पाया। फिर हम विधान सभा के आईटी सेल में गये। उनसे ऑनलाइन उत्तर के संबंध में जानकारी हासिल की। वापस आफिस आकर हमने विधान सभा के ऑनलाइन उत्तर पढ़ने की कोशिश की। लेकिन उत्तर तक पहुंच नहीं पाये।
विधान सभा का ऑनलाइन उत्तर पद्धति (क्यूआरएमएस) एकदम नयी तकनीकी पर आधारित है। इसकी तकनीकी और प्रक्रिया आम आदमी के वश में नहीं है। बॉडीगार्ड और ड्राइवर के भरोसे मोबाइल चलाने वाले विधायक ऑनलाइन उत्तर पद्धति का इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे। फेसबुक, ईमेल और वाट्सएप तक सीमित विधायक भी इसका इस्तेमाल आसानी से नहीं कर पायेंगे। मंगलवार को सवाल पूछने वाले एक विधायक ने कहा कि हम ऑनलाइन उत्तर पढ़े नहीं थे। मामूल था कि हमारे प्रश्न का उत्तर मंत्री क्या देंगे, उसी आधार पर पूरक पूछ लिया। इसलिए ऑनलाइन उत्तर पद्धति के दौर में विधायकजी लोग ‘गोबर’ (कम जानकार) पीए (निजी सहायक) रखेंगे तो लीपा (सत्र के दौरान किरकिरी) जाएंगे। ऑनलाइन उत्तर पद्धति में किसी भी विधायक के लिए पूरा उत्तर देख पाना संभव नहीं है। इसलिए दूसरे सदस्य के लिए पूरक प्रश्न पूछना भी आसान नहीं होगा।
हमने सत्ता और विपक्ष दोनों लॉबी में विधायकों से परिचय बनाने का प्रयास किया। करीब 80 फीसदी विधायकों को हम नाम, क्षेत्र, पार्टी और जाति के आधार पर जानते हैं। नाम बता दीजिये तो जाति और क्षेत्र भी हम बता देंगे। लेकिन ऐसे बहुत सारे विधायकों के चेहरे से परिचित नहीं हैं। इसी परिचय के प्रयास में पातेपुर के लखेंद्र रौशन और मोहिउद्दीननगर के राजेश कुमार सिंह से परिचय हुआ। वीरेंद्र यादव न्यूज को सभी विधायक पढ़ते और जानते हैं। इसलिए परिचय भी सहजता से होता गया। लालगंज के संजय सिंह माथे पर गमछी बांधने के कारण पहले पहचान में ही नहीं आये, फिर बातचीत में हम पहचान पाये। शाम को हम विधान सभा से बाहर निकल रहे थे तो पोर्टिकों में उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद से मुलाकात हो गयी। थोड़ी देर बात के बाद हम मुख्य द्वार की ओर बढ़ लिये।