जय जवान। केंद्र सरकार ने जय जवान का गौरव समाप्त कर दिया है। अब सेना के तीनों अंगों थल सेना, नौ सेना और वायु सेना में जवानों की भर्ती नहीं होगी। सरकार द्वारा स्वीकृत ‘अग्निपथ’ योजना के तहत सैनिकों की जगह ‘अग्निवीर’ भर्ती किये जायेंगे। ये अग्निवीर सैनिक नहीं होंगे, इसलिए ड्यूटी के दौरान मारे जाने पर उन्हें शहीद का दर्जा भी नहीं दिया जायेगा।
केंद्र सरकार द्वारा मंजूर अग्निपथ योजना में अनेक प्रावधान किये गये हैं, जो सेना के गौरव, राष्ट्रसेवा और अनुशासन जैसी उसकी विशेषताओं को छीन लेगी। केंद्र सरकार और सैन्य अधिकारी इस अग्निपथ योजना को लेकर अपनी राय रख रहे हैं और इसके फायदे गिना रहे हैं। केंद्र सरकार में शामिल विभिन्न पार्टियों की ओर से योजना का यशोगान किया जा रहा है। अग्निपथ योजना के खिलाफ भी अनेक तर्क दिये जा सकते हैं।
ठेके पर अग्निवीरों की बहाली, बलिदान की कीमत तय करना और चार साल बाद रोड पर धकेल देना। यही नियति होगी अग्निपथ योजना की। इससे देशभक्ति की भावना आहत होगी और हर अग्निवीर के लिए चयनित युवक चार साल में सड़क पर आने के बाद की योजना बनाने में जुट जायेगा। देश के लिए बलिदान होने की भावना पैदा ही नहीं होगी। फिर सेवा की उम्र साढ़े 17 साल से 21 साल रखी गयी है। यानी अधिकतम 25 साल उम्र में अग्निवीर बेरोजगार होकर सड़क पर आ जायेगा।
देश में बढ़ती बेरोजगारी के दौर में अग्निवीरों की भर्ती के लिए भी युवाओं की लंबी कतार लगी रहेगी। लेकिन ऐसे अग्निवीरों की वही स्थिति होगी, जो स्कूलों में बहाल शिक्षा मित्रों की हो गयी है। नियोजित शिक्षकों के कारण जिस तरह शिक्षा बदहाल हो गयी है, उसी तरह नियोजित अग्निवीर कारण देश की सुरक्षा व्यवस्था बदहाल हो जायेगी। अग्निपथ को लेकर सरकार की कार्ययोजना का असर बाद में ही दिखेगा, लेकिन फिलहाल इतना तय है कि जय जवान का गौरव समाप्त हो गया है।
इसके साथ ही, सैनिकों की बहाली में आरक्षण नहीं मिलता है। लेकिन सरकार की नयी योजना के तहत अग्निवीर सैन्य बल का हिस्सा नहीं होंगे, इस कारण इनकी नियुक्ति में आरक्षण का कोटा भी तय किया जाना चाहिए।
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khatma ho gaya jai javan ka gaurav