सड़क और सदन के बीच को भेद अब मिटता जा रहा है। राजनीति में एक कहावत है- सड़कें सूनी हो जाती हैं तो सदन आवारा हो जाता है। राजनीति इसी दौर में पहुंच गयी है। सड़क हंगामा और सदन विमर्श का मंच माना जाता है। अब सड़कें सूनी हो गयी हैं और हंगामा सदन में पहुंच गया है। विमर्श विलुप्त होता जा रहा है। यह राजनीति की त्रासदी है या त्रासदी भरी राजनीति, समझ में नहीं आता है।
सोमवार को हम विधान मंडल के गलियारे में घुमरिया रहे थे। पोर्टिको के बाहर का माहौल भी खबरों से भरा पड़ा था। अलग-अलग पड़ाव पर कई लोगों से मुलाकात हुई और कई खबर भी निकल आये। सत्तारूढ़ दल के एक वरिष्ठ नेता की त्रासदी एकदम अलग किस्म की थी। सदन में जलवायु परिवर्तन और इससे जुड़े विषय पर विमर्श के लिए समय निर्धारित हुआ था। हालांकि हंगामे के कारण विमर्श नहीं हो सका, लेकिन एक बड़ा सवाल छोड़ गया। सत्तारूढ़ दल के एक नेता बता रहे थे कि जलवायु परिवर्तन के विषय पर बोलने के लिए कोई विधायक तैयार नहीं हो रहे थे, जबकि इससे जुडी सामग्री मोबाइल पर उपलब्ध है। उनकी यह पीड़ा बता रही थी कि हंगामा विपक्ष के लिए ही नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ दल के लिए भी कितना जरूरी है।
विधान परिषद में मुख्य विपक्षी दल के पास कोई ‘मॉनीटर’ नहीं है, जो सदस्यों को पार्टी के निर्देशों से अवगत करा सके और उचित निर्णय ले सके। मॉनीटर का मतलब है मुख्य सचेतक। मुख्य सचेतक नहीं होने की हड़बड़ी सोमवार को दिखी। दोनों सदनों में समन्वय का अभाव भी रहा। विधान सभा में पहली पाली में विपक्षी दलों के हंगामे के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि परिषद में पहली पाली शांतिपूर्ण चली। लेकिन परिषद की दूसरी पाली विधान सभा के तरह हंगामे की भेंट चढ़ गयी। दोनों सदनों में अग्निपथ योजना को लेकर विरोधी पार्टियां सदन में बहस की मांग कर रही थीं। मजे की बात यह है कि जिन विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण विधान सभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी, वही विधायक बैठक स्थगित होने के बाद वेल में ही बीडीओ और सीओ के ट्रांसफर के लिए मंत्री से पैरवी करने में जुट गये।
उधर, विधानमंडल परिसर में कैमरे के सामने विपक्ष के सभी दल अपने-अपने बैनर लेकर बयान देने में जुट जाते हैं। सबके अपने-अपने मुद्दे और तर्क हैं, लेकिन एकता सिर्फ हंगामे में ही दिखती है। इस बयानयुद्ध को पत्रकारों ने भी मजाक बना दिया है। एक कैमरा वाले भाई ने राजद के विधायक फतेबहादुर सिंह का इंटरव्यू किया। लेकिन जब उसने उस इंटरव्यू के बाद अपनी बात कह रहा था, तब उसने कहा कि अभी आप विधायक रितलाल राय को सुन रहे थे।
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