भोजपुर जिले के जगदीशपुर से विधायक हैं रामविशुन सिंह लोहिया। उनका लोहिया उपनाम छात्र जीवन में ही जुड़ गया है। 1970 के दशक में बिहार की राजनीति में लोहिया होने का खास मायने था। रामविशुन सिंह स्कूलों में सामाजिक भेदभाव और जातीय उत्पीड़न के खिलाफ लड़ते थे। इसलिए लोग उन्हें लोहिया कहने लगे।
वे जगदीशपुर से लगातार दूसरी बार राजद के टिकट पर निर्वाचित हुए हैं। वे कहते हैं कि जेपी आंदोलन में सात दिन जेल रहे थे, जबकि 1978 में आरक्षण आंदोलन के दौरान डेढ़ महीने जेल में रहे थे। उस समय राम अवधेश सिंह के नेतृत्व में आरक्षण लागू करने के लिए आंदोलन चल रहा था। उनके साथ दिनारा के वर्तमान विधायक विजय मंडल और राजद नेता देवमुनी यादव भी फुलवारी जेल में थे।
वीरेंद्र यादव न्यूज के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि 1980 में राजनारायण की पार्टी से जगदीशपुर से विधान सभा चुनाव लड़ चुके थे। 1981 में नौकरी वन विभाग में रेंज अफसर के रूप में हो गयी। इसके बाद 2014 में रिटायर्ड होकर राजनीति में सक्रिय हुए तथा 2015 में पहली बार विधान सभा के लिए चुने गये।
विधायक रूप में अपनी उपलब्धियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सभी गांवों की सड़कों से जोड़वाया। कृषि कार्यों के लिए अलग से बिजली फीडर लगवाया। अब जाति के आधार पर पार्टियां उम्मीदवारों को टिकट देती हैं तो आपने अपनी जाति के लोगों के लिए क्या किया? इस सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सबसे बड़ी आबादी यादवों की है। स्वाभाविक है कि विकास कार्यों और योजनाओं का अधिक लाभ उनको ही मिलता है। उन्होंने कहा कि विकास योजनाओं का लाभ आम लोगों तक पहुंचे, इसकी पूरी कोशिश करते हैं। विधायक फंड की राशि का इस्तेमाल भी कार्यों की उपयोगिता के आधार पर करते हैं, ताकि बहुसंख्यक लोगों को इसका लाभ मिल सके।