सोमवार को विधानमंडल में विभिन्न संसदीय समितियों की बैठक थी। इस दौरान कई समितियों के सभापति और सदस्यों के साथ बैठकी भी लगी। राजनीति के कई आयामों को लेकर चर्चा भी हुई। इसी क्रम में महाराजगंज के विधायक विजय शंकर दुबे से मुलाकात हुई। हरनौत के हरिनारायण सिंह को छोड़ दें तो वे सबसे पुराने विधायक हैं। हरिनारायण सिंह पहली बार 1977 में विधायक बने थे तो विजय शंकर दुबे 1980 में विधायक बने। 1985 से 90 और 2000 से 05 के बीच कई विभागों मंत्री भी रहे। रघुनाथपुर, मांझी और महाराजगंज तीन विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वे बताते हैं कि पहले किसी विधायक को मंत्री बनाने से पहले उनसे सहमति ली जाती थी। इसके बाद राज्यपाल की ओर से आमंत्रण पत्र भेजा था। लेकिन अब स्थिति बदल गयी है।
शपथ ग्रहण के कुछ घंटे पहले तक मंत्री बनने वाले को पता ही नहीं रहता है कि वे मंत्री बनने वाले हैं। ऐसी ही एक घटना 2017 में हुई थी। भाजपा कोटे से मंत्री बनने वाले मंगल पांडे का नाम जब मंत्री सूची में पुकारा गया तब वे हिमाचल प्रदेश की यात्रा पर थे। उनका शपथ ग्रहण एक दिन बाद हुआ था। इसी संदर्भ को आगे बढ़ाते हुए विधान पार्षद देवेश कुमार कहते हैं कि प्रशासनिक ढांचे में भी बदलाव देखा जा रहा है और वरिष्ठ अधिकारियों के प्रति जूनियर अधिकारी का सम्मान भाव पहले से कम हुआ है। वे कहते हैं कि पहले जिलों में डीएम या एसपी का तबादला होता था तो वे अपने प्रमंडल स्तरीय अधिकारियों को कटसी कॉल करके अपने पदस्थापन की सूचना भी देते थे। यह परंपरा अब खत्म होती जा रही है।
इधर, दानापुर के विधायक रीतलाल यादव कहते हैं कि जब पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में बूथ स्तरीय संगठन की मजबूती के लिए जनसंपर्क कर रहे हैं तो भाजपा के सांसद रामकृपाल यादव बेचैन हो गये हैं। 18 जनवरी को रीतलाल यादव कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं तो उसी दिन रामकृपाल यादव भाजपा नेताओं का उसी इलाके में महापंचायत बुला रहे हैं। जदयू के विधायक मनोज यादव, राजद के विधायक राजेश गुप्ता एवं फतेबहादुर सिंह और सीपीआई के विधायक सूर्यकांत पासवान ने भी अपनी पार्टी और गठबंधन की राजनीति को लेकर चर्चा की।
शाम को हम वीरचंद पटेल पथ में नवनिर्मित विधायक आवास में गये। लगभग 2 माह पहले इन आवासों को विधायकों को आवंटित किया गया है। बहुत सारे विधायकों का गृहप्रवेश भी हो गया है। कुछ आवासों को सुसज्जित करने का काम भी चल रहा है। पटना में वीरंचद पटेल पथ, हाईकोर्ट के पास, गर्दनीबाग में विधायक और मंत्री आवासों का निर्माण चल रहा है। निर्मित हो रहे मकानों का आवंटन भी किया जा रहा है। इस संदर्भ में यह व्यावहारिक होगा कि नवनिर्मित आवासों के समूह को किसी नेता के नाम पर नामकरण कर दिया जाये। इससे उनके योगदान को भी याद किया जा सकता है। जैसे इनकम टैक्स के पास बने विधायक आवास को ‘कर्पूरी सदन’ नामकरण किया जा सकता है। इसी तरह गर्दनीबाग के पास अलग-अलग ब्लॉकों में बने रहे आवास को भूपेंद्र आवास (बीएनमंडल), बिदेंश्वरी निवास (बीपी मंडल) आदि किया जा सकता है। इसके साथ विधान सभा के स्पीकर अवध विहारी चौधरी से भी आग्रह करना चाहेंगे कि आवंटित आवासों पर संबंधित विधायकों के नाम भी लिखवा दिया जाये तो उनसे मिलने आने वाले लोगों को आसानी होगी।