जदयू की पूर्व सांसद मीना सिंह भाजपा में शामिल हो गयी हैं। एक सप्ताह पहले उन्होंने जदयू छोड़ने की घोषणा की थी। 12 मार्च को पटना में आयोजित सभा में औपचारिक रूप से भाजपा का झंडा थाम लिया।
मीना सिंह का भाजपा में शामिल होना कोई बड़ी राजनीति घटना नहीं है। इस विलय प्रक्रिया के पीछे की राजनीति बड़ी घटना है। मीना सिंह का राजनीतिक महत्व है और खासकर शाहाबाद की राजपूत राजनीति में उनका दखल है। उनके इसी महत्व को देखते हुए भाजपा ने एक राजनीतिक चाल चली थी। मीना सिंह के पुत्र विशाल सिंह हैं। हाल ही में वे नेशनल कॉओपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनसीसीएफ) में अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। उनके चुनाव में ही मीना सिंह के भाजपा में जाने की पृष्ठभूमि तैयार हो गयी थी।
एनसीसीएफ के अध्यक्ष के चुनाव में विशाल सिंह के खिलाफ एक दूसरे उम्मीदवार ताल ठोक रहे थे और उनकी स्थिति मजबूत दिख रही थी। इस स्थिति में मीना सिंह ने पुत्र विशाल सिंह के साथ केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उनका समर्थन मांगा। उनके साथ उत्तर प्रदेश के एक सांसद भी थे। चुनाव प्रक्रिया से जुड़े एक सूत्र के अनुसार, अमित शाह ने भाजपा में शामिल होने की शर्त पर मीना सिंह के पुत्र विशाल सिंह को समर्थन देने की घोषणा की। इसके साथ ही मीना सिंह को लोकसभा और विशाल सिंह को विधान सभा के टिकट का आश्वासन दिया गया। बताया जाता है कि विशाल सिंह यूपी से भाजपा के एक सांसद के करीबी रिश्तेदार हैं।
अमित शाह का आशीर्वाद मिलते ही विशाल सिंह का मार्ग प्रशस्त हो गया और वे निर्विरोध एनसीसीएफ के अध्यक्ष निर्वाचित हो गये। तय कार्यक्रम के अनुसार, मीना सिंह और विशाल सिंह भाजपा में शामिल हुए और अब भाजपा के लिए काम करेंगे। मीना सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद मगध और शाहाबाद की राजनीति प्रभावित होगी। मीना सिंह के जदयू छोड़ने का कोई खास असर नहीं पड़ेगा, लेकिन भाजपा में शामिल होने से भाजपा का जातीय समीकरण जरूर प्रभावित होगा। इससे केंद्रीय मंत्री और आरा से सांसद आरके सिंह की परेशानी जरूर बढ़ सकती है।